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साहित्यकार का दायित्व : हिंदी कविता ‌| Sahityakar Ka Dayitv : Hindi Kavita

साहित्यकार का दायित्व : हिंदी कविता ‌| Sahityakar Ka Dayitv : Hindi Kavita

विषयः साहित्यकार का दायित्व
दिनांकः 20 नवंबर, 2022
दिवाः रविवार

साहित्यकार का दायित्व

मानव मन जब मानवता उभरता,
तब लेता वह एक पावन आकार।

दया उपकार सभ्य शिष्ट मृदुलता,
मानव मन को करता है साकार।।

मानव शब्द बहुत ही महान यह,
मानव का मूल शब्द होता है मान।

मानव मन भरे बहुत ही ज्ञान है,
मानव हो तू मान या न तू मान।।

अनुचित अन्याय ही जब बढ़ा है,
मानव मन सृजन लिया आकार।

उभारा लेख जब लेखनी से अपने,
मानव मन ये बना साहित्यकार।।

मानव मन से ईर्ष्या बैर मिटाकर,
सेवा संस्कृति जन जन में जगाना।

विश्वबंधुत्व को ही कायम करके,
स्नेह प्यार आदर सादर लुटाना।।

साहित्यकार स्व पे अंकुश रखता,
साहित्यकार होता विनम्र कड़ा है।

साहित्यकार बनना है सहज नहीं,
साहित्यकार का दायित्व बड़ा है।।

पूर्णतः मौलिक एवं 
अप्रकाशित रचना।

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