नींद ना आने की समस्या पर कविता | Poem Insomnia On In Hindi
विषयः अनिद्रा का मँडराता वैश्विक संकट
अतिनिद्रा तो भागा बहुत दूर,
अनिद्रा का संकट है मँडराया।
मानव हुए काम धंधे से वंचित,
विज्ञान महिमा चहुँ ओर छाया।।
वैज्ञानिक सुविधाएँअनेकानेक,
शारीरिक श्रम सब हो गए बंद।
बैठे सोए समय सब है बीतता,
मानव हुए हर काम से स्वछंद।।
श्रम नहीं तो भोजन कम जाए,
श्रम बिन थकावट भी न आती।
हो सवार अनिद्रा का ही संकट,
विज्ञान की महिमा बड़ी ख्याति।।
श्रम गया और संग थकान गया,
भोजन भी हुआ सबका अल्प।
दीर्घायु जीवन का भी हुआ अंत,
नहीं रहा आज कोई भी विकल्प।।
जमकर पहले शारीरिक श्रम था,
जमकर होता शारीरिक थकान।
जमकर उठता था कोई भोजन,
एक नींद में हो जाता था विहान।।
रह नहीं गया आज श्रम कहीं भी,
चिकित्सक सलाह करो भ्रमण।
वी पी शुगर हार्ट सबको है छाया,
करते रहो अस्पताल परिक्रमण।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
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