Ticker

6/recent/ticker-posts

एक बच्चे की मौत पर तल्ख़ कड़वी ग़ज़ल

 एक बच्चे की मौत पर तल्ख़ कड़वी ग़ज़ल

“एक बच्चे की मौत पर ”
-------
तल्ख़ / कड़वी ग़ज़ल
-------------------------------
“ बाबू ” चल बसा, अफ़सोस”!
ज़ालिम है “ ख़ुदा ”, अफ़सोस”!

है जब्बार”, है क़ह्हार “ ? ”
अपना “ ना- ख़ुदा ”, अफ़सोस”!

अपनी डूबती है “ नाव ” ?!
“ रब ” है “ ना-ख़ुदा ”, अफ़सोस”!

तुम, अपना “ ख़ुदा ” बदलो ”!
ज़ालिम/ जाबिर है ख़ुदा, अफ़सोस”

बन्दा, बा-वफ़ा है, यार ”
रब है “ बे-वफ़ा ”, अफ़सोस ”!

है बे-दर्द और बे-रहम ”?!
ऐसा है “ ख़ुदा ”, अफ़सोस”!

है “ दुनिया ” का मालिक, और”
“ गरदूँ ” में “ छुपा ” ?,अफ़सोस”!

अब तो,आदमी की “ ज़ीस्त ”
है “ दोज़ख़ - नुमा ”, अफ़सोस”!

जीवन, आदमी का, क्यों ”?
है ” दोज़ख़-नुमा ”, अफ़सोस”!

ख़ुद “ जन्नत ” में रहता है ”?
“ जग ”,“दोज़ख़-नुमा ”,अफ़सोस”!

“ रब ” को याद रख, और, यार ”!
सब-कुछ, भूल जा, अफ़सोस”!
----------------
इस त़वील ग़ज़ल के दीगर अश्आर फिर कभी पेश किए जायेंगे,इन्शा-अल्लाह-व-ईश्वर”!
-------------
इन्सान प्रेमनगरी,
राजधानी-एक्सप्रेस-ट्रेन में बैठे-बैठे”
सफ़र के दौरान”

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ