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बेटी दिवस पर कविता, शायरी, स्लोगन Beti Divas Par Kavita Shayari Slogan

अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस पर कविता, शायरी, स्लोगन

अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस
25 सितंबर, 2022
कौन कहता भार होती हैं बेटियाँ,
माता पिता का प्यार होतीं बेटियाँ।

बेटी ही होतीं माँ बाप की हितैषी,
माँ बाप का उद्धार होतीं बेटियाँ।।

बेटी माँ बाप की उद्गार होती हैं,
बेटी क्यों न भले दो चार होती हैं।

होते माँ बाप स्वर्गवास जिस दिन,
बेटियाँ सबसे लाचार होती हैं।

कहने को तो होते बेटे बहू ही हैं,
माँ बाप को ही लाचार करते हैं।

विवश होते तब हैं ये माता पिता,
बेटे बहू ऐसा आचार करते हैं।।

विवश हो कुछ कर सकते नहीं हैं,
स्वयं गूंगे और बहरे हो जाते हैं।

फिर भी बेटे का ही मोह माया,
चुप्पी सहनशीलता अपनाते हैं।।

अति ही पहुँचता जब है घर में,
अपने पास बुला लेती हैं बेटियाँ।

जीवन कटता तब बेटी के घर में,
चरणों शीश झुकाती है बेटियाँ।।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

बेटी दिवस पर सुंदर कविता हिंदी में

बेटी
माँ बाप की सुंदर संतान होती हैं बेटियाँ,
घर की आन बान शान होती हैं बेटियाँ,

पापा मम्मी की अरमान होती हैं बेटियाँ,
मात पिता के जीवन प्राण होती है बेटियाँ।

बेटी ही तो सुन्दर घर परिवार होती है,
बेटी ही तो सुन्दर सृष्टि का आधार होती है,

बेटी ही तो एक सुन्दर संसार होती है,
बेटी ही तो घर परिवार की संस्कार होती है।

हर घर परिवार देश विदेश की अभिमान बेटियाँ,
नहीं रहनेवाली तलवार सम हैं म्यान बेटियाँ,

रानी लक्ष्मीबाई सम लड़नेवाली घमासान बेटियाँ,
अरियों की छिननेवाली क्षण में प्राण बेटियाँ।

माँ सीता चारो बहनें भी किसी की बेटी थीं,
कौशल्या सुमित्रा भी कीसी की बेटी थीं,

कैकेयी मंथरा भी किसी माँ बाप की बेटी थी,
रानी लक्ष्मीबाई भी किसी माँ बाप की ही बेटी थी।

बेटी ही तो किसी घर की बहू बन आती है,
बहू बनने के बाद बेटी फिर माँ बन जाती है,

माँ बनने के बाद वह सास भी बन जाती है,
जैसा बीता बहूकाल में वैसा फिर तन जाती है।

माता पिता को जो समझ रखती हैं बेटियाँ,
सास ससुर को भी वैसा ही समझ लें बेटियाँ,

बेटियों को भी बनना ही है एक दिन सास,
इसलिए सास को भी माँ समझ लें बेटियाँ।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा सारण
बिहार।

अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस की हार्दिक बधाई

नव राष्ट्रपति के नव रूप में,
द्रौपदी मुर्मू जगह है बनाई।

हे बिहार झारखंड की बेटी,
तुझे है हृदयतल से बधाई।।

हे भारत के प्रथम नागरिक,
सदा सदा तुम्हारी जय हो।

देशभक्ति की अविरल धारा,
सत्य निष्ठ व मृदुल लय हो।।

विश्व में दुंदुभि बजे तुम्हारी,
राष्ट्रहित में तन मन प्राण रहे।

अंतरिक्ष हो गुँजित जयघोषों से,
जयहिन्द वंदे मातरम् गान रहे।।

भारत की बेटी भारतीयों की माँ,
भारत माँ की हर अरमान बनो।

रच दो जीवन की गौरव गाथा,
भारतीय सच्ची अभिमान बनो।।

यही हमारी ईश से शुभकामना,
हृदयतल से यह सादर बधाई।

सर्वोच्च पद की गरिमा बचाना,
इसी में भारतीयता की भलाई।।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा,
छपरा सारण
बिहार।

आज बेटी दिवस पर मेरी यह कविता

आज बेटी दिवस पर मेरी यह कविता उस बेटी की आवाज़ है जिसे हर रोज़ कहीं ना कहीं, किसी ना किसी तरीके से प्रताड़ित किया जाता है। उसकी इज्ज़त को तार-तार कर, उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है।
उसकी घुटती आवाज़ को दबाने की पुरजोर कोशिश की जाती है।

हिसाब होगा
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हिसाब होगा
तेरे हर एक कर्म का हिसाब होगा।

दफन कर दे
कितना भी गहराई में
अपने कर्मों को
एक दिन तेरे सामने
सब खुला किताब होगा।

तिलक लगा
सज़दे कर
क्रॉस को चूम पर
एक दिन तू
सबके सामने खड़ा
बेहिजाब होगा।

दास्तान दुनिया पढ़ेंगी तेरी
शब्द दर शब्द
और तू एक कोने में खड़ा
बेनकाब होगा।

पर्दे डाल- डाल कर जी ले
एक दिन तू बेपर्दा
सरे बाज़ार होगा।

हिसाब होगा
याद रखना
अंतिम सांस उखड़ने के पहले
तेरे हर एक कर्म का
हिसाब होगा।

क्रांति श्रीवास्तव
अभिव्यक्ति
25/09/2022

Happy Daughters Day Poem in Hindi

Happy Daughters Day

ओ माता करती उदर से मैं पुकार
जनम मुझे लेने दे
ओ माता जन्म से पहले न मार
जनम मुझे लेने दो

माना पुत्र नही हुँ माता मत मानो तुम वंश
लेकिन मात पिताजी तेरा आखिर हूँ मैं अंश
ओ माता कम ही तू देना दुलार
जनम मुझे लेने दो...

कहा कही थी मैंने तुझो की धरती पर लाओ
लेकिन जब मैं आने को हूँ मत मुझको ठुकराओ
ओ माता तेरा ही हूँ मैं आकार जनम मुझे लेने दो

तुम भी किसी की बेटी ही बो यह कैसे बिसराई
मेरे जनम से पहले कैसे बन गई हो तुम पराई
ओ माता बाते ब अपनी बिसार जनम मुझे लेने दो ----

कौन खता की मौन जो कि पाई सजा -ऐ -मौत
मैं सोचूं की अपनी तू है माँ तुम बन गई सौत
ओ माता देखो न नैनो की धार जनम मुझे लेने दो, --

मेरे जैसा राधा, सीता, सावित्री भी रोटी
ऐसे ही जो पहले उदर में भ्रूण की हत्या होती
ओ माता भेजो न काल के द्वार जनम मुझे लेंने दो ----

आज सभी माताओं, पिता से "शबनम"करती पुकार
भ्रूण नष्ट करने वालो तुम बादलो लारा विचार
वरना होगा ये नष्ट संसार जनम मुझे लेने दो, जनम मुझे लेने दो
ओ माता करती उदर से मैं पुकार जनम मुझे लेने दी।

शबनम महरोत्रा

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