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तीज में खीझ ठीक नहीं | लघुकथा Teej Mein Kheej Theek Nahin | Short Hindi Story

तीज में खीझ ठीक नहीं | लघुकथा Teej Mein Kheej Theek Nahin | Short Hindi Story

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लघुकथा

तीज में खीझ ठीक नहीं


तीज पर्व को निकट आते देख मध्यमवर्गीय परिवार की सुमन ने अपने पति राकेश से कहा कि 'देखिये जी तीज का पर्व आ गया है, तीज का सामान नहीं लाना है क्या'?

सुमन के पति राकेश ने मुस्कुराते हुये कहा 'जी हाँ लाना है धर्म पत्नी जी। पहले आप लिस्ट तो दिखाईए कि हमें बाजार से क्या-क्या लाना है'।

सुमन ने कुर्सी पर बैठते हुये कहा कि 'पहले आप फटाफट कलम उठाईये और सामान का नाम लिखिए'।

राकेश ने अपनी कापी व कलम निकालकर कहा कि 'अब आप सामान का नाम व कितनी मात्रा में लाना है बताइए'।

सुमन ने कहा एक साड़ी के अलावे रिफाइन तेल एक किलो, गुड़ एक किलो, सूजी एक किलो, किशमिश ढाई सौ ग्राम, छोहाड़ा ढाई सौ ग्राम, खोआ ढाई सौ ग्राम, नारियल का बुरादा दो सौ ग्राम, लौंग, इलायची दस-दस रूपया का, खीरा, सेव, नासपाती, मकई सभी आधा-आधा किलो, केला एक दर्जन, नींबू वाला डाभ व नारियल एक-एक पीस लाना है। इसके अलावा पानपता, कसैली, माला, फूल, बेलपत्र व पूजा का धी ढाई सौ ग्राम लाना है'।

राकेश ने कहा कि 'यार अभी मेरा काम भी छूटा है और हाथ भी खाली है सो इसमें हो सके तो कुछ सामान की कटौती कर लो या कुछ सामान की मात्रा कम कर लो '।

कटौती का नाम सुनते हीं सुमन आग बबूला हो गयी और बोली कि आपको तो मेरे हीं पर्व-त्योहार पर कटौती करने की आदत है अपने खुद के ख़र्चे पर कभी नहीं।

रूऑसे होते हुये सुमन तमतमाकर बोली आप एक भी सामान मत लाइए, आपका पुरा पैसा बच जायेगा।यदि आप बाजार से एक भी सामान लाइएगा तो हम ठेकुआ व पेडुकिया नहीं बनायेंगे। पूजा भी नहीं करेंगे'।

राकेश ने कहा कि तुम हर पर्व के पहले एवं पर्व में अपनी नौटंकी दिखाती हो, ऑंखों में ऑसु लाती हो, तुमने आज तक नहीं तो पति के प्यार को समझा है और ना हीं अपने पति की मजबूरी को समझा है। तुमने सिर्फ अपनी जिद्द को समझा है। इसी जिद्द के कारण तुम्हें कहीं अपने पति को नहीं खोना पड़े'। इतना कहकर राकेश बाजार की ओर चल पड़ा।

सुमन के पास में खड़ी उसकी सास शान्ति देवी ने सुमन से कहा कि देखिए दुल्हिन 'हर बात पर पति से मूंह लगाना, उसपर झल्लाना कभी ठीक नहीं है।जिस पति के लिए तीज कर रहे हैं उस पर खीझ उतारना अच्छी बात नहीं है।उसके दिल को दुखाना व उसे रूलाना ठीक नहीं है '। मेरी एक सलाह मानिए। जब राकेश बाजार से सामान लेकर आयेगा तो उसका मुस्कुराकर स्वागत कीजिएगा। मेरा बेटा अंदर से काफी कोमल है'।

अपनी सास की सलाह सुनकर सुमन के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। सुमन अपने दरवाजे पास जाकर अपने पति के आने का इंतजार करने लगी।

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अरविन्द अकेला, पूर्वी रामकृष्ण नगर, पटना-27

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