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लघुकथा : हौसला | Hosla Short Hindi Motivational Story

लघुकथा

शीर्षक : हौसला


रींकी हाथ में तिरंगा लिए चौराहे पर खड़ी।
हर आने जाने वाले से तिरंगा लेलो और लोग अपने बच्चे को तिरंगे का महत्व समझाने के लिए खरीद रहे थे।

नन्हे हाथों में लेकर कभी इधर कभी उधर दौड़ती है।
पढ़ने की उम्र में कभी खिलोने कभी दीया बाती कभी मोमबत्ती बेचती रहती।

तो एक दिन हमने पूछा लिया बेटी तुम पढ़ती कब हो वह बोली सर मैं नहीं पढ़ती घर का खर्च चलाती हूँ

हमने पूछा और तुम्हारे मम्मी पापा?
वह‌ बोली पापा नहीं है माँ बीमार है।

इसलिए तिरंगा बेच रहीं हुँ।
मेरी तरह भगवान किसी की भी किस्मत नहीं लिखें नहीं तो पढ़ना लिखना तो दूर खाने के भी लालै पड़ जाएंगे।

पुष्पा निर्मल बेतिया
बिहार (05/08/22)

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