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बहुला चौथ कथा (संकट चतुर्थी ) बहुला गाय की कथा Bahula Chauth Katha

Bahula Chauth Bahula Chaturthi Vrat Katha In Hindi

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बहुला चौथ कथा (संकट चतुर्थी ) बहुला गाय की कथा


बहुला नाम की एक गौ माता,
सुबह से वन में आई थी।
अपने नन्हे शिशु को छोड़,
वह चारण करने आई थी।।
संध्या होने को आई,
घर जाने को वह पग बढ़ाई थी।
सामने ही वनराज खड़ा था,
देख बहुला उसे, बहुत घबराई थी।।
आने लगा वनराज समीप,
बहुला अति प्रेम, गिड़गिड़ाई थी।
बच्चा मेरा भूखा है घर में,
अंतिम बार दूध पिलाने विनती मनायी थी।।
दूध पिलाकर, आ जाऊँगी,
वचन वनराज को दे आई थी।
घर को आई, दूध पिलाने,
खूब लाड़ जता, आँखे डबडबाई थी।।
माँ की आँखों में भय देख,
शिशु गौ भी घबराई थी।
माँ वन वापिस जाने लगी जब, 
शिशु भी पीछे हो आई थी।।
वनराज के आगे दोनों,
एक दूजे को बचाने, खुद की बलि चढ़ाई थी।
माँ बेटी के अद्भुत प्रेम पर,
वनराज को दया फिर आयी थी।।
वनराज के रुप में,
स्वयं हरि, लेने परीक्षा आये थे।
गौ माता की वचनदृढ़ता से,
खूब प्रसन्न हो, वर दे जाये थे।।
भादो मास कृष्ण चतुर्थी,
जो इस कथा को गाएंगे।
संकट सारे विध्नहर्ता हरेंगे,
सौभाग्य घर वे लाएंगे।।
बहुला माता संग शिशु गौ की,
विधि से पूजन करवाएंगे।
धन-धान्य से सुखी रहेंगे,
संतान सम्पन्न हो जायेंगे।।

युवा लेखिका एवं साहित्यकार
शिखा गोस्वामी "निहारिका"
मारो, छत्तीसगढ़

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