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राष्ट्र प्रहरियों हेतु संदेश : हार नहीं मानना

राष्ट्र प्रहरियों हेतु संदेश : हार नहीं मानना


अरुण दिव्यांश

हार नहीं मानना

हे राष्ट्र प्रहरी हे राष्ट्र के रक्षक,
सदा सीमा पर सीना तानना।

आ जाए मुसीबत राष्ट्र पे जब,
जीते जी भी हार नहीं मानना।।

तुम पर ही यह देश भी टिका है,
तुम बिन ही तो सर्वस्व मिटा है।

दिखाया राष्ट्र को आँखें जो भी,
उसके घर में गुस भारत पीटा है।।

सेना का सीन सीना ही तानना,
सीमा में रह सीमा को मानना।

अंदर प्रवेश रहे सदा ही वर्जित,
अरि व आतंकी को पहचानना।।

देश का मान देश का अभिमान,
देशभक्त देश का सच्चा शान है।

राष्ट्र हृदय का गान व ज्ञान है तू,
माँ भारती का ही स्वाभिमान है।।

घबड़ाना नहीं है जीवन में कभी,
देशधर्म को भी सदा ही जानना।

एक सौ तीस करोड़ साथ हैं तेरे,
सर झुकाना या हार नहीं मानना।।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
अरुण दिव्यांश 9504503560
डुमरी अड्डा
छपरा सारण
बिहार
भारत।

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