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दिल रो उठा : पंजाब के पुत्र सिद्धू मूसेवाला की अंतिम विदाई

दिल रो उठा

एक सवाल का ज़वाब..जो सारी दुनिया जानती है...

दुनिया का सबसे बड़ा दुख क्या है..
बाप के कंधे पर बेटे का जनाजा उठना..

आज उस कड़वे सत्य को प्रत्यक्ष देखा और अनुभव भी किया..


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आज 31/5 /2022 को सारा  पंजाब शोकाकुल, वेदनापूर्ण, मार्मिक स्थिति में नीरव है.. हर जनमानस के नैनों में, अश्रुओं का सैलाब है। सीने में उठता दर्द.. असहाय है। .. क्योंकि, आज पंजाब के पुत्र- सिद्धू मूसेवाला की अंतिम विदाई है! आज के पश्चात, वो कभी प्रत्यक्ष नज़र ना आएगा.. आज के बाद, उसका कंठ कभी ना गाएगा..

सिद्धू मूसेवाला एक ऐसा नाम, जिस से शायद ही जगत में कोई अनजान होगा! जिसने अपनी काबिलियत से सारे जग पर अपना व अपने पंजाबी विरसा  का नाम रोशन किया! यह वाणी पुत्र संगीत की दुनिया का पूर्णोदित भास्कर था! छोटी उम्र व कम वक्त में, बुलंदियों की सीढ़ियां कोई विरला ही लांघ सकता है! अपनी गायकी के बलबूते, पोलीवुड में अलग पहचान बनाते हुए, अपने सुरीले सफ़र का दायरा देश विदेश तक बढ़ाया!अपनी सुरीली आवाज़ और अनोखे अंदाज से..युवा पीढ़ी का चहेता बन गया!

परंतु अचानक इस सुखद सफर का अंत बेहद दर्दनाक ढंग से हो गया। वो कुछ, असामाजिक व अमानुष्यिक तत्वों के शिकार हो गए। इस फनकार के सीने में.. उन्होंने गर्म लोहा भर दिया। जिस नाज़ुक दिल से, लोगों के लिए खुशियां और आनंद की लहरें निकलतीं थी..उसमें बारूद की गोलियां फंस गईं! और वो सांसो को त्याग, चिर निद्रा में आसीन हो गए...

ख़बर मिलते ही, चाहने वालों के दिलों में यह, नश्तर की तरह चुभ गई और हर दिल अज़ीज़ बिलख उठा। आज उन को अंतिम विदाई देने को, जनमानस का हुजूम, उनके गांव में उमड़ पड़ा!जो ना पहुंच पाए, वो अपने घरों में दूरदर्शन के जरिए, श्रद्धांजलि अर्पण करते हुए दिखे.. 

क्या दुश्मनी हो सकती है किसी को..एक, फनकार, कलाकार, साहित्यकार से जो, इस कदर बेरहमी का परिचय दे सकते हैं!अरे.. यह तो एक कोमल दिल रखने वाले वो विदूषक होते हैं, जो अपने अंदर दुनिया का ग़म समेट कर, जग को चंद पल खुशियां देने की कोशिश करते हैं। किसी के दुख को अपना कर, अपनेपन का एहसास देते हैं। पर, लोग तो परमात्मा से भी अदावत निकाल लेते हैं..फिर हम तो इंसान हैं साहब...

लेकिन..ज़रा उस बाप की वेदना को महसूस करते हैं, जिसके कंधे पर कुंवारे बेटे की अर्थी का बोझ है। बेशक उसके मुख से सतनाम वाहेगुरु के पवित्र शब्द निकल रहे होंगे, परंतु..दिल चित्कार कर रहा होगा- "हे परमात्मा..क्या गुनाह किया हमने, जो आज मुझे धरती का सबसे बड़ा दुख, तूने उपहार में दिया"! 

उस बाप के ज़ेहन में, अपने बेटे के बचपन से लेकर..जवानी तक की सारी यादें चलचित्र की भांति चल रही होंगी। पुत्र के जनाजे के पीछे चल रहे, अनगिनत लोगों के दुख.. उस बाप के दुख के समक्ष कोई मोल नहीं रखते! बेशक भीड़ में सब दिलासा दे रहे होंगे, पर, उस बाप के दिल से पूछो..जिस के ज़िगर का टुकड़ा खो गया है। मुखाग्नि देते वक्त तो जैसे, उस मानुष के प्राण ही निकल गए होंगे। और शायद वो अरदास कर रहा होगा कि.."काश! धरती फट जाए और मैं उसमें समा जाऊं"...

उधर..उसकी मां की स्थिति का क्या, जिसने अपनी कोख को आज, आग लगते देखा हो!अपने इकलौते पुत्र को अपने सीने का लहू पिला सिंचा..कई दिन कई रातें बड़े जतन से पाला पोसा.. कई सुनहरे सपने, कई ख्वाहिशें पाली सुखद जीवन की, पर, आज अंतिम विदाई देते हुए उसका कलेजा मुंह को आ जाता होगा! वह तो शायद सुध बुध खो कर धरती पर लोट रही होगी। इस अनर्थ का खामियाजा कौन भरे...

वाह रे नियति...तुझे कुछ तो रहम आता! यह दृश्य देख या सोच कर, कोई पत्थर दिल भी पिघल जाए...

अग्नि भेंट करते ही उनका नश्वर शरीर धूंए के बवंडर के रूप में, पंच तत्वों में विलीन होते ही, जन समुदाय में चीख-पुकार.. करुण क्रंदन से माहौल गमगीन हो गया! लेकिन, उस बाप पर तब फिर गाज गिरी..जब उसने उपस्थित अपने पुत्र के हितेषीयों को, इस दुःख की घड़ी में साथ निभाने का आभार व्यक्त करना पड़ा। उस मार्मिक दृश्य को कभी भूला नहीं जा सकता, जब उस पिता ने अपने "सर की पगड़ी" उतारी, हाथ में पकड़ कर असहाय हो कर कृतज्ञता जताई। उसकी तो दुनिया ही उजड़ गई..मानो आज, एक बाप यतीम हो गया। कंधे झुक गए..कमर टूट गई...

सिद्धू मूसे वाला ऐसी असहनीय विदाई देखकर.. सबका दिल रो उठा..


सिद्धू मूसे वाला की आत्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए.." सतगुरु सच्चे पातशाह..दसों गुरुओं " से अरदास करूंगा, वे उनकी रूह को अपने चरणों में समाहित करें और परम शांति बक्शें.._

शोकातुर निशब्द!
हरजीत सिंह मेहरा.
मकान नंबर 179, 
ज्योति मॉडल स्कूल वाली गली, 
गगनदीप कॉलोनी, भट्टियां बेट, 
लुधियाना पंजाब (भारत)
फोन नंबर 85 289-96698

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