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सौतेली माँ : लघुकथा | Sauteli Maa : Short Story in Hindi

सौतेली माँ : लघुकथा | Sauteli Maa : Short Story in Hindi

लघुकथा
सौतेली माँ
तुम बिन मेरा कोई नहीं है
रिंकू आज बहुत उदास है।
वह बात भी नहीं कर रहा हैं। आज किसी से मैंने पूछा बेटा क्या हुआ तुम आज चूप चूप क्यों हो कुछ तो बोलो बेटा वह बोला मुझे मेरी माँ बहुत सताती है।

मेरा तो और कोई नहीं सौतेली माँ भाई के अलावा!

तो क्या बात है, वह तुम्हारी सगी माँ नहीं है वह बोला मुझे तो पता नहीं मैंने तो होस सम्हाला है। तब से उन्हें ही देखा है, पर लोग कहते हैं। वह मेरी सौतेली माँ है।

पुष्पा निर्मल


दिखावा तो ऐसे करती है।
जैसे वह मेरी सगी माँ है पर दर्पण कभी झूठ नहीं बोलता, बनावटी पन दिखती जाता है।

चेहरे से दिखाती है की उनके लिये तो मानों मैं उनका सब कुछ हूँ पर नहीं उनका तो असली बेटा ही उनका सब-कुछ पर जाना एक दिन वे समझेगी जरुर सब समय किच किच करती रहती है। एक दिन रोते हुए आई और बोली छोटका हमसे बतमीजी से बात करता है रिंकू बोला चुप हो जा माँ मैं हूँ ना।

रिंकू के साथ ऐसा व्यवहार होता था फिर भी वही सौतेली माँ को सीनेसे लगाया बोला माँ मेरा और कोन है।

माँ तेरे सिवा मेरा कोई नहीं है।
पुष्पा निर्मल बेतिया
बिहार

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