मोटे व्यक्ति पर कविता Motapa Kavita मोटूराम कविता
मोटापा पर कविता Poem On Obesity in Hindi Motapa Kavita
मोटापा
जीभ दनादन दंड करें,
पकवान प्रहार प्रचंड करें।
मन, तन का सुध नहीं रखता,
नित क्रिया अविरत अखण्ड करें।
ऊर्जा प्रचुर उपयोग नहीं,
ये असंतुलन हैं सही नहीं।
जब वसा बदन हैं जम जाता,
मेंढक सा तोंद निकल आता।।
न व्रत-उपवास योगा कसरत,
न श्रम करने की हैं फुरसत।
भोजन पश्चात वारि सेवन,
शय्या धारण की हो हसरत।।
फिर बहे पसीना साँस फुले,
और चलना दूभर हो जाता हैं।
व्याधिग्रस्त काया बेढब,
हा कहते इसे मोटापा हैं।।
स्वरचित मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
चंद्रगुप्त नाथ तिवारी
सुंदरपुर बरजा आरा(भोजपुर) बिहार
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