बुद्ध पूर्णिमा पर कविता – Poem on Buddha Purnima in Hindi
भगवान गौतम बुद्ध पर कविता – Poem on Gautam Buddha in Hindi
समस्त माताओं बहनों एवं बंधुओं को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जब जब होती है धर्म की हानि,
तब तब कोई अवतार होता है।
होता है भाग्यशाली वह मानव,
महामानव जिसके द्वार होता है।।
कपिलवस्तु के पावन भूभि पर,
राजा शुद्धोदन हुए भाग्यशाली।
जन्मे सिद्धार्थ माँ की कोख से,
जैसे अमृत भरा मिला प्याली।।
लिए सिद्धार्थ राजकुल में जन्म,
राजकुल कत्तई उन्हें नहीं भाया।
द्रवित हुए दुनिया के दुःख देख,
हृदय उनका बहुत अकुलाया।।
किया शिकार देवदत्त ने हंस का,
सिद्धार्थ ने था जिसको बचाया।
न्याय किया था शुद्धोदन ने जब,
हंस चलकर सिद्धार्थ सम आया।।
सहन नहीं हुआ दुनिया का दुःख,
सैनिक संग निकले थे भ्रमण में।
तट पर जा राजसी वस्त्र उतारा,
सैनिक सौंप निकल गए वन में।।
लग गए देश विदेश अब घूमने,
देने लग गए सुंदर शांति उपदेश।
लाखों बने लोग इनके अनुयायी,
ज्ञान ध्यान हेतु आए अपने देश।।
बिहार से निकले सिद्धार्थ नाम से,
बिहार मे आए बन महात्मा बुद्ध।
बोधगया बना तब तपोवन भूमि,
बिहार हुआ इनके कारण शुद्ध।।
धन्य हुआ यह बिहार की धरती,
गौतम बुद्ध महात्मा बुद्ध नाम से।
बन गया धार्मिक पर्यटक स्थल,
बोधगया बौद्धधर्म रूपी काम से।।
अरुण दिव्यांश 9504503560
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
गौतम बुद्ध पर कविता | बुद्ध पूर्णिमा पर कविता | Gautam Buddha Kavita
होइए अवतरित बुद्ध
होइए अवतरित फिर से बुद्ध।
कीजिए पापियों का हृदय शुद्ध।।
है अशांत ये लोभ की दुनिया,
रोता है मुन्ना, रोती है मुनिया।
भटक रहा स्वछंद अंगुलीमाल,
कर रहा नष्ट अहं में जानमाल।
होइए अवतरित फिर से बुद्ध।
कीजिए पापियों का हृदय शुद्ध।।
बढ रहा है घमंड का ज्वाला,
धू-धू जल रहा सहस्त्रों आला।
मूक दर्शक बने खड़ा है मानव,
रही न हिम्मत, देख कृत्य दानव।
होइए अवतरित फिर से बुद्ध।
कीजिए पापियों का हृदय शुद्ध।।
प्रेम की निर्मल गंगा बहाने आइए,
दिलों को जोड़ने का मंत्र पढाइए,
हे साधक ! सुन लीजिए पुकार,
करता है सकल लोक गुहार।
होइए अवतरित फिर से बुद्ध।
कीजिए पापियों का हृदय शुद्ध।।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार
बुद्ध पूर्णिमा पर कविता - Poem on Buddha Purnima in Hindi
आया बुद्ध पूर्णिमा का त्यौहार
लाया शांति का असीम उपहार
आज प्रभु बुद्ध का जन्म दिन
और पावन निर्वाण का त्योहार
कहलाती है ये बुद्ध जयंती पर्व
भारतीय करते हैं बुद्ध पर गर्व
बुद्धू कहते करो ज्ञान की प्राप्ति
ज्ञान से मिलती है अनुपम शांति
शांति से मिलती सुख -समृद्धि।
दूर हो जाती जीवन की भ्रान्ति
अहिंसा परमो धर्मः ये था नारा
क्रोध मोह से दूर शांति का दुलारा
दूसरों को सुख दे सुखी न्यारा
बौद्ध धर्म का संदेश है प्यारा
आशा जाकड़
बुद्ध के साथ चलें : बुद्ध पूर्णिमा पर संदेश देती हुई विशेष कविता
बुद्ध पूर्णिमा
"बुद्ध के साथ चलें"
"आओ हम बुद्ध के साथ चलें,
बुधम् शरणम्म गच्छामि कहें।"
चलिए बुद्ध के साथ चलें,
सत्य अहिंसा के ठौर चलें।
छोड़े हम नफरत का घर,
प्यार के हम नए द्वार चलें।
यह जीवन तो क्षणभंगुर है,
इससे इतनी ममता क्यों है।
इस जीवन को सार्थक करें,
प्रेम एकता के हम द्वार चलें
माया मोह का बंधन त्यागो,
उठो अब तो नींद से जागो।
धरा पर आए जिसके लिए,
उसे करने सब तैयार चलें।
लूट हत्या चोरी डकैती क्यों,
रोग ग्रस्त काया से मोह क्यों।
मानवता के रक्षा हेतु हम सब,
बुद्ध के बताएं राहों पर चलें।
अपना नहीं कुछ इस जीवन में,
कुछ नहीं रखा है इस बंधन में।
"दीनेश" तोड़ दो इस जंजीर को,
करने नया हम कोई तदबीर चलें।
दिनेश जी दीनेश
Read More और पढ़ें:
0 टिप्पणियाँ