Par Updesh Kushal Bautere: Anmol Gyan ki Baten
अद्भुत ज्ञान की बातें
टेढ़ी कमरिया नहीं दिखे, दूजो की देखे चाल।
अपनी कमिंयाँ नहीं देखते, दुनियाँ के कहते हाल।
बात बात पर झगड़ा करते, करे शांति की बात।
इधर उधर की जुगुली करते, कहे जनम का साथ।
पानी की बर्बादी करते, कहते जल अनमोल।
बूँद टपकती दूजे घर में, कहते कड़वे बोल।
महाभारत करते हरदम, दूजे के ढूंढे बाल।
दया धरम के गीत गाते, रोज बजाते गाल।
स्वच्छता की बाते सुनलो, करते भाई कमाल।
पड़ौस में कचरा डालें, अद्भुद इनका जाल।
उधर माँगना आदत इनकी, कहते ये जंजाल।
लौटाना ये भूल जाते, आँख दिखाते लाल।
जनसँख्या का रोना रोते, घर में इनके फौज।
सरकारों को कोसा करते, चंदे से करते मौज़।
वक्त पर आँखें फेरे ये, दिया करें उपदेश।
अपना पराया छाँटा करते, कैसा ये सन्देश।
भोग विलासी जीवन जीते, संतों का लेते नाम।
लाशों पर करें सियासत, पाप भरे सब काम।
कंगाली को भूल गए सब, ये माई के लाल।
निर्धन का अपमान करते, मोटी इनकी खाल।
श्याम मठपाल, उदयपुर
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