Hamdiya-W-Ghazaliya Kalam of Azim Shayar-e-Islam Hazrat-e-Ramdas Premi Insan Premnagari
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अल्लाह, रब है सब का, यही मान लीजिए!!
" इस्लाम, दीन-ए-हक़ को तो, अब जान लीजिए!!
" इरफ़ान-व-हक़ को, आप सभी जान लीजिए!!
अब " कुफ़्रियत " को छोड़ के, " ईमान " लीजिए!!
रोज़ाना अब " किताब-ए-इलाही " पढा करें!!
अब आप, अपने हाथों में " क़ुर्आन " लीजिए!!
बस " इन्तख़ाब-ए-पीर " में " अक़्ल-ए-सलीम " हो!!
" मुर्शिद के इन्तख़ाब " में " कुछ ठान " लीजिए!!
" इल्हाद-व-कुफ़्र " की, न करें बात, " सेठ जी "!!
" काफ़िर " के बदले " नाम-ए-मुसलमान " लीजिए!!
" सलमान फ़ारसी " थे बड़े बा-वफ़ा बुज़ुर्ग!!
फिर, आप, " नाम-ए-हज़रत-ए-सलमान " लीजिए!!
आप आए हैं, " ग़रीब-कदा " पर, जनाब-ए-मन!!
अब, आप, " चाय लीजिए ", ये " पान " लीजिए!!
" ग़ालिब " ही " बेहतरीन " सुख़नवर है, " नाक़िदीन "!!
उस " शायर-अज़ीम " का " दीवान " लीजिए!!
" इन्सान रामदास " सुख़नवर अज़ीम है!!
अब, आप, " नाम-ए-हज़रत-ए-इन्सान " लीजिए!!
इस आदमी से, आप को मिलना है बार-बार!!
" इन्सान-ए-हक़/ इन्सान-ए-दिल " को " ग़ौर से " पहचान लीजिए!!
" बाँका-जवान " और " सुख़नवर- शरीफ़ " / सेहतमन्द शख़्स है!!
" बिस्मिल-प्रेम-नाथ " को " पहचान " लीजिए!!
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इस त़वील मन्ज़ूम तख़्लीक़ के दीगर शेर-व-सुख़न आइंदा फिर कभी पेश किए जायेंगे, इन्शा-अल्लाह!
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रामदास प्रेमी इन्सान प्रेमनगरी,
डाक्टर जावेद अशरफ़ क़ैस फ़ैज़ अकबराबादी बिल्डिंग्, राँची हिल साईड, इमामबाड़ा रोड, राँची, झारखण्ड, इन्डिया!
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