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भगवान बुद्ध के संदेश : आनंद पूर्णिमा पर अध्यात्मिक कविता गौतम बुद्ध के संदेश

Bhagwan Gautam Buddha Ke Sandesh : Anand Purnima Spiritual Poetry


Bhagwan Gautam Buddha Ke Sandesh : Anand Purnima Spiritual Poetry

गौतम बुद्ध के संदेश : आनंद पूर्णिमा पर अध्यात्मिक कविता

बुद्ध के संदेश
आनंद पूर्णिमा
बुढ़ापा, रुग्णता और मृत्यु देख, निर्बल मानव विचलित होते हैं।
सत्यार्थी वैभव विरक्त, बुद्ध ज्ञान संचित कर यज्ञकर्ता बनते हैं।।

युद्ध हिंसा व्यर्थ, स्वयं पर विप्र विजित हो, जनहितकारी होते हैं।
सूर्य, चन्द्रमा और सत्य को छुपा कर हमसब रख नहीं सकते हैं।।

जीवन का परमलक्ष्य सत्यार्थी बनना, यात्रा वे संपन्न करते हैं।
बुराई को बुराई से चार सका कोई, घृणा प्रेम से अंत करते हैं।।

सत् पथिक थमते नहीं, राह तय कर पुनः यात्रा प्रारंभ करते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन भिक्षु अग्रसारिता का महासंकल्प लेते हैं।।

अतीत में उलझना है व्यर्थ, वर्तमान में जी भविष्य उज्जवल करते हैं।
स्व अर्जित संपदा बांटो, एक दीपक से असंख्य दीपक रोशन होते हैं।।

गूढ़ सत्य, दीये की रोशनी नहीं जगमग कर, दीवाली को शुभ कहते हैं।
ग्रंथ ज्ञान और श्रावक बन रहते मूढ़, व्यवहार से हीं लाभ मिल पाता है।।

क्रोध परम शत्रु मानव का, आत्मदाह कायर करते, सहज जल मरते हैं।
दयावान साधक त्यागी सेवक सर्वश्रेष्ठ, 'महाविभूति' बन अमर होते हैं।।

क्रोधी अपराधी बनते, मौनव्रती कर्मठ हीं आजीवन शांति लाभ करते है।
भगवान् बुद्ध के दस संदेशों की माला, सुधिजनों को कह नमन् करते हैं।।

डॉ. कवि कुमार निर्मल
DrKavi Kumar Nirmal


Bhagwan Budhha Ke Sandesh

Snehlata Dwivedi Ji
Prabha Kumari
Pushpa Nirmal Ji
Sudhir Srivastava Ji
Kamla Uniyal Ji
Dhanraj Joshi Res Ji
Sushma Khare Ji
Ananda Ruchira Ji
Ruchika Rai Ji
Prakash Roy Priyo
Nirdosh Lacsy ji
Ap sabhi ki snehasikt sabdon hetu Dhanyawad

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