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अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के शुभ अवसर पर कविता, शुभकामनाएं

Antarrashtriya Parivar Divas Par Kavita


अरुण दिव्यांश


अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के शुभ अवसर पर कविता, शुभकामनाएं


अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के शुभ अवसर पर विश्व के समस्त दादा दादी, माता पिता, फुआ फूफा, मामा मामी सबको हृदयतल से सादर चरण स्पर्श नमन एवं शेष समस्त अनुजों को हार्दिक शुकामनाओं के साथ आज अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस पर एक रचना का प्रयासः

Antrashtriy Parivar Divas Par Kavita

दादा दादी माता पिता चाचा चाची,
भाई बहन मिल बनता एक परिवार।

सब मिलकर संग परिवार हैं चलाते,
सब होते हैं सबके ही सुंदर आधार।।

परिवार है एक सामुहिक संगठन,
अपना दायित्व जितना निभा ले।

घरेलु सामाजिक राजकीय राष्ट्रीय,
अंतर्राष्ट्रीय परिवार जो अपना ले।।

परिवार होता है सामुहिक संगठन,
लुटाते आपस में असीम त्याग व प्यार।

निज स्वार्थ की भावना न होती किसी में,
हर्षित पल्लवित खिलखिलाता है परिवार।।

एक का सुख देख होते सब सुखी,
एक के गम देख सब रोते आँसू धार।

एक दूसरे पर सब हैं वे प्राण लुटाते,
किसी को छोड़ते नहीं कभी बीच मजधार।।

दुःख सुख में सब मिलजुलकर रहते,
देखना नहीं चाहते किसी को भी उदास।

ईश्वर भी साथ देते हैं खूब खुलकर,
दुःख दरिद्रता का कभी न होने देते वास।।

स्वार्थ भाव में कभी वह प्रेम नहीं होता,
त्याग प्यार धर्म पुण्य में भी छिपा स्वार्थ।

माला लटकाकर भगत बगुला पण्डित,
मछली पकड़ता क्या वह है परमार्थ।।

हर परिवार हुए हैं आज अलग थलग,
केवल एक जाति धर्म के ही नाम पर।

हर मानव की है विचारधारा एक ही,
पाखण्ड आडंबर रखते केवल पालकर।।

पाखण्ड आडंबर यदि हट जाए मन से,
जाति धर्म भी सब फिर से एक होगा।

एक ही हो जाएगी यह दुनिया सारी,
सबका तन मन सुंदर नेक विवेक होगा।।

अरुण दिव्यांश 9504503560
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना

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