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आचरण जेकर उत्तम होई, आचरण पर दोहे Aacharan Par Dohe Dohavali

आचरण जेकर उत्तम होई, आचरण पर दोहे Aacharan Par Dohe Dohavali

आचरण जेकर उत्तम होई, ओकरे चरण पूजाइ।
कर्महीन अविवेकी लोगवा, भँवर में डूबल जाई।।
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करम करे जे नेक समाज में, उहे उत्तम लोग।
धन दउलत के बात ना कवनो, इ ह बस संयोग।।
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धन से धरम करे जे प्राणी, सज्जन देव कहालें।
मुअलो पर उ एह समाज में, हरदम पूजल जालें।।
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जे जइसन बोई भइया, उहे फल उ पाई।
करी अनैतिक काम उ जग में, हरदम नीच कहलाई।।
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बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू

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