Rashtriy Ekta Par Kavita देश की एकता और अखंडता पर कविता
कविता
आओ बनायें एक ऐसा हिन्दुस्तान
आओ बनायें एक ऐसा हिन्दुस्तान,
जहाँ नहीं कोई हिन्दु, मुसलमान,
रहें जहाँ पर सिर्फ इंसान,
जैसे विवेकानंद, बुद्ध, रसखान।
यह हिन्दुस्तान बोल रहा है,
दिल का भेद खोल रहा है।
आओ बनायें एक ऐसा हिन्दुस्तान,
नहीं हो वहाँ जाति-धर्म का स्थान,
करें सभी नारियों की इज्जत,
नहीं करे कोई किसी का अपमान।
यह हिन्दुस्तान बोल रहा है,
दिल का भेद खोल रहा है।
आओ बनायें एक ऐसा हिन्दुस्तान,
जहाँ नहीं कोई अल्लाह, भगवान,
नहीं हो कोई मंदिर, मस्जिद,
होता रहे वहाँ चरित्र निर्माण।
यह हिन्दुस्तान बोल रहा है,
दिल का भेद खोल रहा है।
आओ बनायें एक ऐसा हिन्दुस्तान,
जहाँ नहीं कोई, भ्रष्टाचारी, शैतान,
रहे चहुँओर प्रेम, भाईचारा,
करें एक दूजे का सम्मान।
यह हिन्दुस्तान बोल रहा है,
दिल का भेद खोल रहा है।
आओ बनायें एक ऐसा हिन्दुस्तान,
जहाँ नहीं कोई चोर- बेईमान,
रहें सभी जन हिल- मिलकर,
बढ़ायें अपने देश की शान।
यह हिन्दुस्तान बोल रहा है,
दिल का भेद खोल रहा है।
आओ बनायें एक ऐसा हिन्दुस्तान,
रहे जहाँ तिरंगे का मान,
करें सभी इस देश की सेवा,
देश में हो एक कानून, संविधान।
यह हिन्दुस्तान बोल रहा है,
दिल का भेद खोल रहा है।
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अरविन्द अकेला, पूर्वी रामकृष्ण नगर, पटना-27
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