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प्यार बांटते चले : एकता और भाईचारे पर कविता Poem On Unity in Hindi

Poem On Unity And Brotherhood in Hindi


प्यार बांटते चले
चल, चल मेरे साथी
करके ऊंट, हाथी की सवारी
झूम -झूम मेरे साथी
करके राष्ट्र की रखवारी
प्यार बांटते चले
गले सबसे मिले
गा-गा मेरे साथी
गिले-शिकवे मन से मिटाकर
लहरा-लहरा पताका साथी
सवार एकता नैया पर होकर
प्यार बांटते चले
गले सबसे मिले।
सुन-सुन फरियाद मेरे साथी
हमदम दुखियों का बनकर
बुन-बुन सपने मेरे साथी
अखंड दीया भांति जलकर
प्यार बांटते चले
गले सबसे मिले
उड़ा-उड़ा खुशबू मेरे साथी
कांटों बीच नायाब पुष्प खिलकर
चुरा-चुरा न देह मेरे साथी
पहुंच मंजिल तक शनै:शनै: बढ़कर
प्यार बांटते चले।
गले सबसे मिले।।
दें-दें संग स्त्रियों का मेरे साथी
 इज्जत हरपल उनकी कर
लें-लें खुशी मधुर बोल से साथी
कंधे से कंधे मिलाकर कार्य कर
प्यार बांटते चलें।
गले सबसे मिलें।।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार
स्वरचित, अप्रकाशित

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