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नवरात्रि पर नौ देवियों की आराधना भजन एवं आरती

Navratri Nau Devi Ki Aarti Aur Bhajan

माँ का प्रथम रूप शैलपुत्री माता भजन

'मीनू' मीना सिन्हा द्वारा माँ दुर्गा के नौ रूपों का चित्रांकन और नवरूपों पर रचित चौपाइयाँ

माँ का प्रथम रूप शैलपुत्री माता भजन एवं आरती

चौपाई

प्रथम शैलपुत्री है माता।
दक्ष प्रजापति से है नाता।।
पुत्री इनकी सती भवानी।
जय मांँ हे दुर्गे कल्याणी।।


जप-तप से शंकर को पाया।
पत्नी रुप में काया छाया।।
पितृगृह जानी उत्सव भारी।
हर्षित मगन विकल बेचारी।।

शिव ने सभी नीति समुझाई।
विह्वल, बेकल अति अकुलाई।।
कहना पति का एक न माना।
बिना बुलाए ठाना जाना।।

विक्षुब्धा पार्वती अपमानित।
हैमवती अग्नि में समर्पित।।
पर्वतराज हिमालय से नाता।
सुता शैलपुत्री है माता।।

गौघृत करिए चरण-अर्पण।
फिर अपना हो पूर्ण समर्पण।।
आशीर्वाद आरोग्य मिलता।
जीवन प्रसून पल-पल खिलता।।

मूलाधार मन मग्न योगी।
तपःधारी हो जाए भोगी।।
आओ,सब मिल माँ के द्वारे।
मनवाँ करता जय जयकारे।।
'मीनू' मीना सिन्हा

माँ का द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी

माँ का द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी

चौपाई

द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी।
नारद से सुन तपश्चारिणी।।
शिवशंकर को फिर पति पाने।
कठिन तपस्या बैठी ध्याने।।

है ज्योर्तिमय रूप निराला।
हाथ कमंडल औ' जपमाला।।
संयम से जो करे उपासना।
पाए वह माँ का असीसना।।

तपश्चारिणी उमा अपर्णा।
पति शिव पाने माता जीर्णा।।
धूप, ठंड या वर्षा गर्मी।
ठान हुई गिरिजा हठधर्मी।।

श्वेतांबर माता है अपनी
पार करें मेरी वैतरणी।।
भक्तों का दुख हरनेवाली।
सिध्दि विजय माँ देनेवाली।।

शक्कर का हम भोग लगाएंँ।
प्रसन्नता माता की पाएँ।।
सपरिवार सारे मिल खाएँ।
आयु वृद्धि सब परिजन पाएँ।।

स्वाधिष्ठान में साधना हो।
मन बुध्दि से आराधना हो।।
कृपा करो हे देवी माता।
अजर अमर हो रिश्ता नाता।।

माँ का तृतीय रूप चंद्रघंटा

माँ का तृतीय रूप चंद्रघंटा

चौपाई
चंद्रघंटा की करें पूजा।
कल्याणकारी सम न दूजा।।
तीसरा रूप माता रानी।
क्षमा करो मेरी नादानी।।

युध्दहेतु हैं तत्पर रहती।
सदैव शत्रुभय सबका हरती।।
सिंह पर सवार माता रानी।
भक्तों की करती निगरानी।।

मांँ को दुग्ध पदार्थ चढ़ाएंँ।
खीर मिठाई भोग लगाएंँ।।
मिले दुखों से अब छुटकारा।
आनंद मगन मन झमकारा।।

मणिपुर अवस्थित सभी ज्ञानी।
एकाग्रचित्त होवे ध्यानी।।
सिंह समान निर्भयता भरती।
प्रेत बाधादि रक्षा करती।।

परम शांतिदायक कल्याणी।
अम्बे धारण करे कृपाणी।।
सद्यः फलदायी अराधना।
साधक करते चक्र साधना।।

माँ का चतुर्थ रूप कुष्मांडा

माँ का चतुर्थ रूप कुष्मांडा

चौपाई

कुष्मांडा की करिए सेवा।
चौथा स्वरूप मिलता मेवा।।
दशों दिशाओं वाली माता।
अष्टभुजा सती वृध्दमाता।।

सूर्य लोक में रहती है मांँ।
जगत प्रकाशित करती है मांँ।।
कुम्हड़े की बलि है अति प्यारी।
मैया मेरी सबसे न्यारी।।

आदिशक्ति माँ आदिस्वरूपा।
जगतजननी आधाररूपा।।
मालपुए का भोग लगाएँ।
ज्ञान बुध्दि औ' प्रभुत्व पाएँ।।

अनाहतचक्र ध्यान लगाते।
योगी भोगी सब सुख पाते।।
रोग शोक विनष्ट हो जाए।
माता चरण शरण हम आए।।

माँ का पंचम रूप स्कंदमाता

माँ का पंचम रूप स्कंदमाता

चौपाई

दिन पांँचवा हैं स्कंदमाता।
पिनाकधारिणी देवमाता।।
हे पाटला पद्मासना देवी।
गौरी मंगला महादेवी।।

हैं जगन्माता कमलासना।
मातु-वत्स की हो उपासना।।
गोदी शोभित हैं कार्तिकेय।
देव सेनापति थे अंबिकेय।।

चार भुजाओं वाली माता।
मोक्षद्वार भी खोले माता।।
माता मेरी अति सुखदायी।
मनवांछित इच्छा फलदायी।।

केले का नैवेद्य चढ़ाएँ।
स्वस्थ निरोगी काया पाएँ।।
पुष्कल महत्व का है शुभदिन।
समय बीतता रहता पलछिन।।

विशुद्धि चक्र में रहे साधक।
कोई नहीं फिर बने बाधक।।
माता की जो पूजा करते।
कभी नहीं दुश्मन से डरते।।

माँ का षष्ठम रूप कात्यायनी माता

माँ का षष्ठम रूप कात्यायनी माता

चौपाई

ऋषि कात्य की कठोर तपस्या।
सुर देवों की दूर समस्या।।
अवतरित कात्यायनी माता।
छठवें स्वरूप से सुख छाता।।

शेर सवारी वाली माता।
कृपा करो देव अधिष्ठाता।।
महिषासुरमर्दिनि भवानी।
करूंँ नमन मांँ जग कल्याणी।।

शहद भोग मातु को चढ़ाएँ।
दिव्य शक्ति आकर्षण पाएँ।।
किशन कन्हैया पति हमारे।
खड़ी गोपियाँ यमुना किनारे।।

आज्ञा चक्र साधना करते।
साधक अपनी झोली भरते।।
हिंसकरुपा माँ करुणामयी।
'मीनू' चरण-शरण दयामयी।।

माँ का सप्तम रूप कालरात्रि

माँ का सप्तम रूप कालरात्रि

चौपाई

सप्तम कालरात्रि है माता।
करती शुभ शुभंकरी माता।।
विनाश दुष्टों का है करती।
माँ खाली झोली भी भरती।।

तम तिमिर-सा रूप है काला।
विद्युत सम दमके है माला।।
बिखरे बाल गर्दभ सवारी।
तीन नेत्र शोभे तलवारी।।

गुड़ का भोग लगाएंँ भक्तन।
पान लौंग कपूर मन-नर्तन।।
मांँ को नीबू कटा चढ़ाएंँ।
आसुरी शक्ति से बच जाएंँ।।

मंजरी शुभ है रातरानी।
लाल रंग प्रिय सती भवानी।।
वस्त्र बाघाम्बरी माँ पहने।
दुख विपदा माता को कहने।।

सहस्रार में साधे साधक।
भूत प्रेत दैत्य नहीं बाधक।।
भक्तों को करती निर्भय मांँ।
'मीनू' पकड़े चरण अभय मांँ।।

महागौरी कल्याणकारी

माँ का अष्टम रूप महागौरी कल्याणकारी

चौपाई

अष्टम रूप माँ चमत्कारी।
महागौरी कल्याणकारी।।
सद्यःफलदायक है माता।
पापनाशिनी है वरदाता।।

सुख शांति की अधिष्ठात्री।
तपस्वी गौरवर्णा सावित्री।।
कठिन तपस्या शिव पाने की।
प्रिया पार्वती कहलाने की।।

श्रीफल मांँ को भोग लगाएंँ।
देवी कृपा सभी जन पाएँ।।
संतानों को सुख है मिलता।
सुख-सौभाग्य सदा ही फलता।।

माता के शरण सभी जाएंँ।
मनवांछित फल सारे पाएँ।।
माता काली होती गोरी।
कष्ट हरो मैया अब मोरी।।

स्वरूपा सिद्धिदात्री

माँ का नवम रूप स्वरूपा सिद्धिदात्री

चौपाई

नवमी स्वरूपा सिद्धिदात्री।
वैष्णवी कुमारी ज्ञानदात्री।।
सभी सिद्धियों वाली माता।
उपासकों की है वरदाता।।

रिद्धि सिद्धि भक्तों को देती।
कष्ट साधकों का हर लेती।।
अर्धनारीश्वर रूप पाए।
शिव की महिमा जन-जन गाए।।

माता को तिल भोग चढ़ाएंँ।
सर्वसिद्धि सुख सारे पाएँ।।
मृत्यु-भीति से राहत मिलती।
कभी नहीं अनहोनी घटती।।

डगमग डगमग डोले नैया।
पार करो अब मेरी मैया।।
क्षमायाचना करूंँ भवानी।
जय जय जय हो जग कल्याणी।।
'मीनू' मीना सिन्हा

ऊपर में प्रस्तुत की गई रचनाओं को किसी भी तरह से दूसरी जगह प्रकाशित करने से पहले रचनाकार से अनुमति लेना उचित होने के साथ-साथ आवश्यक भी है!

उपरोक्त भक्ति रचनाओं के रचनाकार का संक्षिप्त परिचय

मीनू' मीना सिन्हा

'मीनू' मीना सिन्हा
एम.ए., द्वय ऊ
(राजनीति विज्ञान, पुस्तकालय विज्ञान)
साहित्यिक उपनाम - मीनल और विज्ञ
जन्मस्थान- बरियारपुर, मुंगेर, बिहार
कार्यक्षेत्र -
रांँची, झारखंड
संपर्क 9835551769

पिता - स्मृतिशेष सुरेश कुमार सिंह
भूतपूर्व विधायक
जमालपुर, मुगेंर
पति - डा. मनोरंजन प्रसाद सिन्हा
रिटायर्ड डीन, आर. वी. सी., राँची
अनुज - पूर्व मंत्री, बिहार

प्रकाशित काव्य संग्रह
1 .जीवनधारा : एक सौ इक्यावन काव्यधाराएँ, (काव्य संग्रह) 2018
2. 'बिटिया' काव्य संग्रह 2021
पत्र-पत्रिकाओं में अनवरत प्रकाशन।

वरिष्ठ कथाकार, कवयित्री
चित्रकला में ख्यातिप्राप्त अनेकों सम्मानों की प्राप्ति ।
बिहार राज्य के मुंगेर जिले के परवेज मुशर्रफ द्वारा संपादित पुस्तक
मुंगेर जिले के शायर कवि में नाम अंकित ।

बिहार के दयानन्द जायसवाल द्वारा संपादित पुस्तक
बिहार के हिंदी साहित्य के साहित्यकार' (2021) पुस्तक में पृष्ठ संख्या 711 पर परिचय अंकित ।

मगसम संस्था द्वारा महिला दिवस 2021 में झारखण्ड से नामित
कोरोना के वजह जाने की असमर्थता।

हिंदी उर्दू साहित्य संसार

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