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सर पर माँ बाप का हाथ बना रहने दो : अत्ति सर्वत्र वर्जयते

माँ बाप पर अनमोल वचन | Man Baap Per Anmol Vachan


तुम्हारी शक्ति अपरंपार है दुरुपयोग मत करो!
अत्ति सर्वत्र वर्जयते,

मैंने रोज हड्डी गलाया तुम्हारी तृप्ति के लिए तुम्हारे कुतर्को से खुद को बचाया सब सुना ताकि तुम्हारे अहम को ठेस नही पहुंचे और मात्र सुकून की दो रोटी के लिए जो तुम्हारा दायित्व है घर परिवार के लिए काम नही, जैसे मैं घर के बुजुर्ग अपना दायित्व निभाते है।

तुम मेरे सर पर माँ बाप का हाथ बना रहने दो तुम्हे कल्पना भी नही तुम कितना बड़ा नुकसान कर रही हो इसे ही हत्या करना कहते है। पर तुमको जग नियंता नही समझ सका तो भला जग की क्या औकात है। जी सकते है घर के बुजुर्ग पर असमय उनके जाने का कारण तो न बनो!

देखो मैं माफ कर दूं ईश्वर भी माफ कर देगा पर तुम्हारी आत्मा तुम्हारा जमीर तुम्हें कभी माफ नही।

करेगा अंत समय पछताने से पहले जाग जाओ तुम से सारी सृष्टि है हम है तुम्हारी शक्ति अपरंपार है दुरुपयोग मत करो ईश्वर ने इसलिए नही तुम्हें बनाया खूबसूरत दुनिया तुम्हारी कृपा की मोहताज कल थी आज भी है वर्ना कहीं जग नियंता विवश हो तुम्हें दरकिनार कर के कुछ ऒर उपाय तलास न ले सृस्टि के सृजन, पालन पोषण के लिए, कहते है अत्ति सर्वत्र वर्जयते। 
आनंद पाण्डेय "केवल"

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