कविता : इस दुर्धर्ष समय में जहां खतम कर दी गई है विचारधारा
इस दुर्धर्ष समय में
जहां
खतम कर दी गई है
विचारधारा
अप्रासंगिक कर दिया गया है
हस्तक्षेप।
घोषित किया जा चुका है कि
अंत
इतिहास का।
हम कविता को
तलवार की तरह भाँगते हुए
काट डालना चाहते हैं
विषमता को
और वह
जो रोक रहा है
रफ्तार
कविता का
हताशा में डूबकर।
और कह रहा है
निरर्थक
पूरी कविता को।
वहीं हम
ले रहे हैं
प्राणवायु
आज के
जलते सवाल से
और बटोर रहे हैं
पूरी आंतरिक मनःस्थिति को
पूर्ण मनोयोग से
अहर्निश।।
अन्वेषी
21 अप्रैल 2022
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