गीत कवि लिख सुनाता है : हिंदी कविता Geet Kavi Likh Sunata Hai Kavita
गीत कवि लिख सुनाता है
प्राणों का दीप जलाता है।
नभ में करते खग विहार।
सब करते जय-जयकार।
ईश वंदना कवि गाता है।
प्रेम सुधा सदा बरसाता है।
सहगामी शंख बजाता है।
चरैवेति महामंत्र गुँजाता है।
घर घर दीप जलाता है।
सृजन से ओज बढ़ जाता है।
प्रगति का बिगुल बजाता है।
विश्व बँधुत्व कायम कर,
स्वर्ग उतर आता है।
पथ हो कंटकाजिर्ण कितना हीं,
संग लिये जग को, बढ़ जाता है।
गीत एक कवि सुनाता है।
प्राणों का दीप जलाता है।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
0 टिप्पणियाँ