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देवबंद से जारी होने वाला वीडियो और एक प्रश्न

देवबंद से जारी होने वाला वीडियो और एक प्रश्न

सेमरियावां बाजार जिला संत कबीर नगर (U. P.) से मौलाना फुज़ैल अहमद कासिमी ने देवबंद, सहारनपुर (U. P.) में तैयार होने वाला मौलाना फुज़ैल अहमद नासिरी का एक वीडियो भेजा है। जिस के अनुसार मौलाना नासिरी ने हज़रत मोहम्मद (स.) को ख्वाब ( स्वप्न) में सिंह यानी शेर के रूप में देखा है | और पाकिस्तान के एक आलिम मौलाना मोहम्मद तक़ी उस्मानी ने इस ख्वाब का व्याकरण करते हुए इसे मौलाना नासिरी की प्रसिद्धता और सफलता का प्रतीक घोषित किया है। सेमरियावां बाजार से यह वीडियो भेजने वाले मौलाना फुज़ैल अहमद कासिमी ने वीडियो के साथ अपना एक प्रश्न (सवाल) भी पोस्ट किया है। वह लिखते हैँ कि "नासिरी साहेब के ख्वाब के बारे में आप का क्या कहना है ? नासिरी साहेब के ख्वाब पर कुछ " तबसेरा " कीजिए"। यानी इस मामले पर अपना विचार {Opinian) रखिए।



फुज़ैल अहमद कासिमी (सेमरियावाँ बाज़ार)

शफ़ीक़ुल ईमान हाशिमी का जवाब

फुज़ैल साहेब ! 
आप का भेजा हुआ वीडियो देख कर मुझे RSS के एक कार्यकर्त्ता की बातें याद आ गई। अभी जल्द ही उस ने एक TV चैनल के डिबेट में भाग लेते हुए कहा था कि हमारे मुल्क हिंदुस्तान में बहुत से अल्पसंख्यक समुदाय हैँ। कोई 2 प्रतिशत है, कोई 4 प्रतिशत है, तो कोई 5 प्रतिशत। जब कि मुस्लमान सब से ज़्यादा 12 या 13 प्रतिशत हैँ। लेकिन क्या कारण है कि 2 प्रतिशत वाले तो कहीं से कहीं पहुंच गए और 13 प्रतिशत वाले आज भी उसी तबाही व बर्बादी का रोना रो रहे हैँ जिस का रोना आज से 72 साल पहले रोया करते थे। मुस्लमानों का कोई भी अख़्बार उठा कर देख लीजिए। उस में षड़यंत्र और साज़िश की वही कहानियाँ छपी हुई मिलेंगी जो आज से 72 साल पहले के मुस्लिम अख़्बारों में छपी हुई मिलती हैँ। मुस्लिम विद्वानों और धार्मिक अगुवाकरों को इस पूरे मुद्दे पर खुले दिल से विचार विमर्श करना चाहिए। और किसी दुसरे से नहीं बल्कि स्वयं अपने आप से पूछना चाहिए कि आखिर क्या कारण है कि केवल 2 प्रतिशत वाले समुदाय (पार्सी क़ौम) ने तो भारत में बड़ी बड़ी इंडस्ट्रीज़ क़ायम कर के दिखाईं। जब कि उन के पास कुछ था भी नहीं (वह लोग ईरान से खाली हाथ आए थे)। और 13 प्रतिशत वाले अभी तक उसी मुक़ाम पर हैँ जहाँ उन्हें मौलाना शिब्ली और मौलाना आज़ाद वगैरह छोड़ कर गए थे। यह 13 प्रतिशत का आंकड़ा रखने वाला समुदाय आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज सेवा या राजनीति के नाम पर कोई ठोस काम करने के बजाय केवल रोने धोने और दूसरों पर आरोप सिद्ध करने में अपना समय नष्ट रहा है। जब कि उसको मुग़लों के शासन काल का भी एक लम्बा पीरियड मिला और उस के पास ज़मीनें और बड़ी बड़ी जागीरें भी थी। अवक़ाफ की अरबों खरबों की जायदादें अब तक उस के पास हैं। आज़ादी से पहले महात्मा गाँधी ने जो पूरे देश के लम्बे लम्बे दौरे किए, वह दौरे मुसलमानों ही के पैसे से हुए थे।


प्रश्न यह है कि ऎसा क्यों है कि जिस क़ौम को बादशाही काल का एक लम्बा पीरियड मिल चुका था, जिस क़ौम के पास ज़मीनें और जागीरें थीं, जिस क़ौम ने केवल अपने पैसों से गाँधी जी को लम्बे लम्बे दौरे करवाए, वह क़ौम आज उस समुदाय का 10 वां हिस्सा भी तरक़्क़ी नहीं कर सकी जो इस देश में केवल 2 परसेंट है ?

अब मुझे कह लेने दीजिए। 2 परसेंट पारसी समुदाय का नेतृत्व करने वाले लोग ख्वाब देखने या दिखाने वाले लोग नहीं हैं। न वह ख्वाब देखते हैँ और न ख्वाब दिखाते हैँ। वह ज़िन्दगी की कठोर सचाइयों से आँखें मिलाने वाले लोग हैँ। जब कि मुस्लिम समुदाय की विडंबना यह है कि यहाँ ख्वाब देखने और दिखाने वालों की भरमार है। हमारे पिछले 190 साल (सं. 1831से लेकर सं. 2020 तक) सिर्फ ख्वाबों और खायलों में गुज़र गए। आश्चर्य जनक बात यह है कि इतना सब कुछ होने के बावजूद आज भी कुछ लोग अपनी क़ौम और देश के लिए कोई रिज़ल्ट ओरियनटेड काम करने के बजाय सिर्फ ख्वाब देखने और दिखाने में लगे हुए हैँ। मुस्लिम क़ौम की बर्बादी का अस्ल कारण यही है। कुछ लोग ख्वाब देख रहे हैँ और कुछ लोग ख्वाब दिखा रहे हैँ।

इस क़ौम का लग भग 200 साला बर्बादी का इतिहास यही बता रहा है। हम इस कडुवे सच को जितनी जल्दी मान लें उतना ही हमारे लिए अच्छा होगा।
शुभ चिंतक : शफ़ीक़ -उल- ईमान हाशिमी
मुंबई (इण्डिया)

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