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उदास मन शायरी : जहां रोशनी ही सदियों से रूठ जाएं Sad Life Shayari In Hindi

उदास मन शायरी : जहां रोशनी ही सदियों से रूठ जाएं Sad Life Shayari In Hindi

जहां रोशनी ही सदियों से रूठ जाएं
और वो आंगन भी
(मुक्तछंद काव्य रचना)
जहां रोशनी ही सदियों से रूठ जाएं,
जहां अंधेरे में तड़पती हैं जीवन की आशाएं।
वहां आएं कभी तो अंजुरी भर धूप,
और वो आंगन भी रोशनी से जगमगाए।

ये कैसी है भाग्य की अजब लीलाएं,
कहीं पर है वो रोशनी सुनहरी।
कई घरों में यहां उठती है चीखें गमों की,
उनके ही तकदीर में रूकी है रातें अंधेरी।

जिस आंगन में छाए हैं काले बादल,
सुखों के लिए जो तरसता है आंचल।
वो आंचल भी भर जाएं सुखों की छांव से,
और सभी ग़म हो जाएं पलभर में ओझल।

तमस हो जायेगा कब जिंदगी से दूर,
कब आयेगा हमारे भी जिंदगी को नया नूर।
गुज़र गई जिंदगी देखें हुए सुखों को,
ये कैसी है,गमों से ही भरी हमारी तकदीर।

सुरज को कभी मांगा नहीं,हमने जिंदगी में,
आसमां के सितारें मांगे नहीं,हमने आंगन में।
थी इतनी-सी चाहतें,मगर वो भी टूट गई,
अंजुरी भर धूप की तम्मनाओ में आखरी शाम हुई।

जहां रोशनी ही सदियों से रूठ जाएं,
जहां अंधेरे में तड़पती है,जीवन की आशाएं।
वहां भी आएं कभी तो अंजुरी भर धूप,
और वो आंगन भी रोशनी से जगमगाए।

प्रा.गायकवाड विलास.
मिलिंद महाविद्यालय लातूर.
9730661640.
महाराष्ट्र 

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