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कुदरत पर शायरी : मोहब्बत कुदरत से Qudrat Shayari In Hindi

कुदरत का कहर पर शायरी Kudrat Shayari In Hindi
मोहब्बत कुदरत से

बेवफा इंसान, नासाज़ हो अश्क और मत बहाओ।
जान है कुदरत से, मोहब्बत कर उससे मुस्कुराओ।।
 
गंदी हवाओं का रुख मोड़ बुहान की ओर ले जाओ। 
दरख़्त काट काट उम्र अपनी अब और मत घटाओ।।

चिपको आंदोलन कर, फिर से दरख़्त बचा फूल लगाओ।
इंसानियत है विहिस्त, कुदरती माहौल मिल कर बनाओ।।

सब को साथ कर, हँसते - हँसते राह पर बढ़ जाओ।
बेहतरीन जिंदगी खातिर, दुनिया में नेह बरसाओ।।

एक भी परिंदा यहाँ का, दुख दर्द और नहीं पाये।
लॉक डॉउन बहुत झेले, उजड़े चमन बस जायें।।

परवरदिगार देख नेकी, मान मेहवान जरूर हो जायें।
दहशतगर्दो को सुधार, आतंकी बला जड़ से हटायें।।

ऐसे में मालिक करीब, खासमखास अहबाब बन जायेंगे।
पाक दिल देख सबका, यक़िनन मेहरवान वो हो जायेंगे।।

यही इल्म है मज़हब का, जीवन का मतलब सही हो जायेगा।
इन्सान नफ़रत नहीं, नेह पुरजोर कर हीं गुलशन चमकाएगा।।

नेह की राह में फिजूल है बहस, नफरत से आग है उठती।
हँसने- हँसाने से, जिंदगी की किश्ती साहिल तक पहुंचती।।

क़ायनात के मालिक के बंदे, उनकी औलाद हैं हम।
खुशी ओ' नेकी के मुसाफ़िर, पी जाते हैं सारे गम।।

शिकस्त नहीं, फ़तह हीं, हमारा आखिरी मुक़ाम है।
इन्कलाब- जिन्दाबाद हीं, हमारा आईन- जुवान है।।

सब्ज़ा-ओ-गुल बने सारी दुनिया, रौनक छा जाये।
चाँद सितारे तक मेहरवान हो कर चाँदनी बरसायें।
कुदरत से मोहब्बत कर इंसान फरिस्ता कहलाए।।
आमीन!
डॉ. कवि कुमार निर्मल

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