Ticker

6/recent/ticker-posts

हार पर कविता Haar Par Shayari Poetry In Hindi हार जीत पर शायरी

हार पर कविता Haar Par Shayari Poetry In Hindi हार जीत पर शायरी

हार-जीत पर कविता
हार
हार शब्द ही एक ऐसा शब्द है,
जीवन से पहले मिल जाता है।
गर्भ धारण करती हैं माँ जब,
माँ का मन भी खिल जाता है।।
गर्भ धारण के कुछ पश्चात में,
जीव रूपी धारण करता है हार।
जन्म ले जीवनरूपी हार पहनता,
जन्म पश्चात दूध लेता है आहार।।
जीवन तो स्वयं में ही एक हार है,
दूसरा हार होता यही आहार है।
तीसरा हार आनन्दित करनेवाला,
वचन कर्म रूपी होता व्यवहार है।।
आहार और व्यवहार पर निहित,
जीवन रूपी बहुमूल्य यह हार है।
बहुत बड़ी इस जीवन की महिमा,
इस जीवनरूपी हार का आभार है।।
हार से वंचित नहीं कभी है जीवन,
हार से बच कहाँ तुम भाग पाओगे।
पराजय भी तो है हार जीवन में,
जीवन पराजित में क्या भाग जाओगे।।
आजीवन जय पराजय रूपी हार,
अंत भी पराजयरूपी हार मिलना है।
पराजय रूपी हार ही पहनकर,
परिवार खिलाना और खिलना है।।
हार बखशता नहीं शीघ्र ही हमको,
दो चार पुश्त भी हमारा हार ढोता है।
जबतक तक हार यह ढोया जाता,
हार खो संस्कृति भी अपनी खोता है।।
नोटः कृपया अन्यथा न लें, क्योंकि समय से पूर्व टंकन करना आरंभ किया है किन्तु थोड़ी देर हो गई, कृपया क्षमा करने का कष्ट करेंगे।
अरुण दिव्यांश 9504503560

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ