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गुलशन पर शायरी Gulshan Shayari गुलशन पर कविता Poetry on Gulshan

गुलशन पर शायरी हिंदी में Gulshan Shayari In Hindi गुलशन पर कविता

गुलशन
सारा गुलशन एक है, सारे अपने फूल।
सबका अपना रंग है, सबके अपने शूल।।
सबके अपने शूल, सभी की भाषा बोली।
सभी चले है संग, सभी की अपनी टोली।।
महक रहा है बाग़, एक है देश हमारा।
सबका है ये देश, सजा है भारत सारा।।

कोई अंतर है नहीं, एक सभी का मूल।
सारे सुन्दर लग रहे, काहे देता तूल।।
काहे देता तूल, सभी को अपना मानो।
गाओ मीठे गीत, इसे तुम पूरा जानो।।
नहीं किसी से वैर, कभी ना दंगा होई।
सबमें हो विश्वास, डरे ना हमसे कोई।।

पौंधें सारे झूमते, झूम रहे हैं पेड़।
भौंरे गुंजन कर रहे, लगी हुवी है मेड़।।
लगी हुई है मेड़, उड़े है सुन्दर तितली।
नाच रहे हैं मोर, गगन में कड़के बिजली।।
चिमगादड़ का शोर, देख तो लटके औंधें।
मीठे कोयल बोल, हिले हैं सारे पौंधें।।

जूही गेंदा हैं खिले, सुन्दर खिले गुलाब।
चंपा कनेर भी खिले, कोई नहीं जवाब।।
कोई नहीं जवाब, खिले हैं फूल चमेली।
कमल लिली को देख, बेल है क्या अलबेली।।
पके हुवे हैं आम, उड़ा है तोता टोही।
महक रहा है बाग़, खिले हैं नलनी जूही।।
श्याम मठपाल, उदयपुर


गुलशन पर शायरी Gulshan shayari गुलशन कविता

गुलशन
गुलशन में अब कहां पहले की तरह गुल हैं खिलते
बताओ क्या पहले कि तरह हमारे जज्बात हैं मिलते।।

दिये इतने जख़्म थे तुमने कभी ओ सनम हमें
आज भी वो हर एक जख़्म हम लिख हैं सिलते।।

लिखते-लिखते जज़्बात दर्द से भर जाते अकसर
आज भी जज़्बात आंसूओं संग ही बहकर हैं सजते।।

भुलाना चाहती हूं यादों सुनों याद न दिलाओ जख़्म
पर आज भी यादों के झरोखों मे मेरे जख़्म हैं पनपते।।

महकना चाहती है वीणा फिर इस गुलशन कि तरह
ये गुलशन कहते हमे तेरे जख़्म पर हम नहीं हैं फबते।।

गुलशन में अब कहां पहले की तरह गुल हैं खिलते
बताओ क्या पहले कि तरह हमारे जज्बात हैं मिलते।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र

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