Ticker

6/recent/ticker-posts

फेसबुक पर झगड़ा : हिंदी कविता Facebook Per Jhagada Hindi Poem

फेसबुक पर झगड़ा : हिंदी कविता Facebook Per Jhagada Hindi Poem

शीर्षक फेसबुक पर झगड़ा
फेसबुक पर झगड़ा
फेसबुक के एक पटल पर
मैं भी जुड़ी थी भाई।।
वहां हो रहा था खूब झगड़ा
मैं चुप्पी साधे देख रही थी हरजाई
झगड़े पर लिखी हर प्रतिक्रियाओं पर
मैं आंख फाड़-फाड़ के थी गड़ाई।।
पता है झगड़ा किस बात पर
चलो आज मैं आप सभी को बतलाई
पटल किसी विशेष जात का था
उस पर हिंदी की पोस्ट क्यों आई ?
बहस कि वजह हिन्दी बनी बताओ
अब ये भी कोई झगड़े की बात है भाई।।
चुप बैठी रही पर लेखिका हूं ना रह नहीं पाई
देख-देख आखिर हार अपनी टांग झगड़े अड़ाई।।
सबको बड़े प्रेम से लिख कविता में समझाई
मानती हूं मातृभाषा बोलना, लिखना जात को
जीवित रखने का माध्यम, सही बात कहलाई।।
परंतु सुनो जिस देश में रहते उसके प्रति
अपना-अपना कर्तव्य न भूलो मेरे भाई।।
राष्ट्रीय भाषा भी हमारी आन, बान, शान
पहचान देश की गौरव बिंदी हिंदी कहलाई।।
मातृभाषा और राष्ट्रीय भाषा दोनों के
सम्मान कि उम्मीद आप सभी से लगाई।।
याद रखो हम शरणार्थी थे कभी इसी भारत
वतन में पलायन कर हमनें उम्मीद थी लगाई।।
चलो छोड़ो दूसरी जात कि बातें आप सभी
मैं अपनी ही जात के लोगों को वो
एक-एक दिन आज फिर याद करवाई।।
दी शरण हमको भारत वतन ने आज एक
वतन के लोगों कि इंसानियत से मिलवाई।।
गर्व से कहती भारत देश कि वासी मैं सिंधी
राष्ट्रीय भाषा हिंदी लिख सीना चौड़ा कर मुस्काई।।
हां मैं हिंदी लिख सीना चौड़ा कर मुस्काई।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ