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देश की आज़ादी को समर्पित जीवन : Desh Ki Azadi Ko Samarpit Jivan

आज़ादी के मतवाले भगसिंह राजगुरु सुखदेव

लेख
" देश की आज़ादी को समर्पित जीवन "
राष्ट्र देव की आराधना ही सब देवों की आराधना, पूजन और यज्ञ करने के समान है।
मुझे एक सुभाषित याद आता है कि
"देश रक्षा समं पुण्यं; देश रक्षा समं वृतं
देश रक्षा समं याज्ञो; दृष्टो नैव च नैव च "
अर्थात देश रक्षा के समान पुण्य, देश रक्षा के समान वृत और देश रक्षा के समान यज्ञ कभी कोई नहीं देखा। यह तीन शब्द व्यक्ति के जीवन कि देश भक्ति को दर्शाती है।

बंधुवर आज हम उसी देश भक्ति में रमते है।
राष्ट्रदेव की अर्चना करते हुए जिन महान क्रांति के मतलवालों ने फांसी के फंदों को चूमा लिया आज उन महान वीरों का बलिदान दिवस है।

वैसे तो हमारा सम्पूर्ण देश वीरों की गाथाओं से भरा पड़ा है। इस मिट्टी रूपी अमृत में शक्ति, शौर्य ओर पराक्रम भरा हुआ है। इस भारत भूमि के प्राचीर से निकलने वाले जल समान अमृत कलश में भरकर भारत माता के पुत्र अमृत पान करते है तो उनके अंदर राष्ट्रभक्ति की ज्वाला, ज्वालामुखी की तरह लावा जैसी प्रस्फुटित होती है। वही देश भक्ति, वही जुनून, वही आँखों में अग्नि के शोले जलते है। जलते - जलते एक दिन बड़ी लो बन जाते है उसी लो के दम पर भारत अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हो जाता है केवल अंग्रेजों की चाटुकारिता करके देश आजाद नही हुआ।


हमारे देश के वीरों ने सीने पर गोली खाकर, फांसी के फंदों को चूमा तब जाकर हमे स्वतंत्रता प्राप्त हुई। भारत माता को आज़ाद कराने के लिए ऐसे तीन महान मतवाले हुए जिन्होंने इस मातृभूमि की आन बान शान को बचाने के लिए असेंबली में बम फेंका ओर दिखा दिया वीरों की परिभाषा क्या होती है। और हंसते - हंसते मौत के फंदें को गले लगाने की ठान ली।

उन्ही में ऐसे एक भगतसिंह कहते

"जिंदगी अपने दम पर ही जी जाती है, दूसरों के कंधों पर तो जनाज़े उठाए जाते है।"

यदि देश के लिए कुछ करना है तो मरना सीखों भावों की अभिव्यक्ति केवल भाव तक सीमित न हो।

एक बार की बात है जब भगसिंह को सुखदेव ताना मारते है की तुमने असेंबली में बम फोड़ने का जिम्मा क्यों नही लिया तो भगतसिंह पुनः मीटिंग बुलाते है और अपने हाथ वह कार्य ले लेते है और कहते कि

"पिस्तौल और बम क्रांति नही लाते, बल्कि इंकलाब की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है।"
तभी जंग जीती जाती है।

यदि किसी पुरुष के हाथ मे कोई बंदूक है और उसे चालाने का साहस नही है तो कभी जीवन मे किसी का भला नही कर सकता ना ही राष्ट्र का और ना ही समाज का। साहस की कमी व्यक्ति को डरपोक बना देती है।

आज से ९१ वर्ष पूर्व २३ मार्च १९३१ का दिन जब याद आता है तो हमारे सबके रोम रोम खड़े हो जाते है।


आज़ादी के मतवाले भगसिंह राजगुरु सुखदेव

आज़ादी के मतवाले भगसिंह राजगुरु सुखदेव जब मेरा रंग बसंती चौला कविता का गायन कर आगे बढ़ रहे थे।

तब मानो ऐसा लग रहा था देश के युवाओं की शिराओं में उबाल लेता हुआ रक्त बाहर नदियों की तरह शिराओं में खलबली मचाता हुआ दौड़ रहा था। जैसे जैसे वह फांसी का फंदा नजदीक आता जाता वीरों के मुख से भारत माता की जय के नारे, वन्दे मातरम की शौर्य गर्जना करते हुए आगे बढ़ते तो ऐसा प्रतीत होता कि आषाढ़ माह के गड़गड़ाहट करते बादल मानो देशभक्ति का नवसंचार कर रहे हो।

वीर जब फांसी के फंदों को चूम कर गले लगा रहे थे तो देश मे उसी दिन हजारों भगतसिंह राजगुरु सुखदेव पैदा हो रहे थे।

भारत भूमि को स्वतंत्र कराने के लिए तीनो वीर अपने प्राणों की आहुति देते है। सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए एक विशाल मिसाल देते है कि जब राष्ट्र की रक्षा करना हो तो फिर प्राणों की चिंता नही करनी चाहिए वही असली देशभक्त होते है।


भगतसिंह राजगुरु सुखदेव देश के लिए जीना और देश के लिए मरना और शहीद होना

वीर भगतसिंह राजगुरु सुखदेव देश के लिए जीना कैसे ओर देश के लिए मरना कैसे यह सीखा गए।

इसीलिए कहते है कि 
कोई चलता पद चिन्हों पर
कोई पद चिन्ह बनाता है।
है वही सुरमा इस जग में
जो अपनी राह बनाता है।।

वे स्वयं क्रांति का बिगुल बजाकर हमें चेतना दिलाकर हंसते हंसते फांसी के फंदे पर चढ़कर बलिदान हो गए।

किंतु बंधुवर आज वह समय नही रहा जब हमें फांसी के फंदे को देश की रक्षा के लिए चूमना पड़े।

आज फंसी के फंदे पर झूलने की नही ओर ना ही देश के लिए मरने की आवश्यकता है, यदि आवश्यकता है तो देश के लिए जीने की।

भगतसिंह कहते है कि:- " मैं महत्वाकांक्षा, आशा और जीवन के आकर्षण से भरा हुआ हूँ। लेकिन जरूरत के समय मैं सब कुछ त्याग कर सकता हूँ।"

आज उसी भगतसिंह के कहे गए कथन को याद कर हमे देश के लिए जीना है। षड्यंत्रकारी घर के लंका भेदियों को विचारों से सबक सिखाना है।

कदम से कदम मिलाकर हमको चलना होगा।
अल्हड़ सी वीरों की जवानी सा मचलना होगा।।
चाहे फिर हमें देश रक्षा में बलिदान क्यों होना पड़े।
अपने शौर्य पराक्रम से दानव दल को दलना होगा।।

इन्ही बातों को ध्यान में रखकर हम अपनी देश भक्ति का परिचय देते रहे।
जय हिंद जय भारत
भारत माता की जय
कृष्णा

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