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पुलवामा के शहीदों पर कविता | पुलवामा शहीदों पर शायरी

पुलवामा के शहीदों पर कविता | पुलवामा शहीदों पर शायरी

शत् शत् नमन्
"पुलवामा के शहीदों को"
"14 फरवरी" की थी वो तारीख,
जब आतंकी हमले से सीना हुआ छलनी।
जब काश्मीर के पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के
एक आतंकी ने विस्फोटक से भरे वाहन से "C R P F "
के जवानोँ की बस को टक्कर मार दी,जिसमे 44 वीर
जवान रण बांकुरे उसी समय "शहीद" हो गये। इस14 फरवरी के दिन को कोई भारतीय कभी नही भूल सकता
उन सभी वीर जवान शहीदों को तथा अपने भारत देश की
रक्षा में आये दिन वीर जवान अपनी जान की बाजी लगा शहीद होते रहते हैं। उन सभी रण बांकुरों को दिल से। "शत् शत् नमन्" करती है ये कविता
तथा सभी से निवेदन करती है कि उन सभी शहीदों के नाम
दिया जलायें उन 'फौजियों" के नाम व उनके परिवारों की मदद करे
उन फौजियों के नाम जो अपना धैर्य कभी नहीं खोता
उनकी वजह से सारा हिन्दुस्तान चैन की नींद सोता।

"एक सैनिक ने क्या खूब कहा है"
किसी गज़रे की खुशबू को, महकता छोड़ आया हूँ।
मेरी नन्ही सी चिडिया को,
चहकता छोड़ आया हूं।
मुझे अपनी छाती से लगा,
लेना ए मेरी भारत मां।
मै अपनी म़ां की बाहों को,
तरसता छोड़ आया हूं।
शत् शत् नमन्

कविता मोटवानी बिलासपुर


पुलवामा के तमाम शहीदों को दिल से नमन.....

मुंह दिखला दो साहब फिर मैं आंसू नहीं बहाऊंगी
उनके जैसे ही सीमा पर मैं भी लड़ने जाऊँगी
*
बिलख-बिलख कर रोती जाती है अर्थी के पास
रोते थे सब उसके दुख को खुद करके एहसास
*
रोती कहती अपनी वेदना मैं उनको बताऊंगी।
मुँह दिखला दो साहब फिर मैं आंसू नहीं बहाउँगी।।
*
पैर पकड़कर साहब का वह करती रही गुहार
करा दो अंतिम दर्शन इनका हे मेरे सरकार
*
अंतिम दर्शन करके मैं खुद ही खुद को समझाऊंगी
मुँह दिखला दो साहब फिर मैं आँसू नहीं बहाउँगी
*
बिलख रहे थे साहब अपने मन में रहे कराह
उस विधवा की दशा देखकर मन से निकले आह
*
इस संकट की घड़ी में सबको साहस देहू विधाता
तेरे दर पर बिलख रहा हूं सुन लो भारत माता।।
*
धूल से तेरे चरणों की मैं निशदिन करता चंदन
साहस दो अब करता हूँ तेरे चरणों का बंदन
*
बिखरे उर के तंत्र-यंत्र सब बिखरे सर के ताज
इस अधीर देवी को बोलो कैसे बताएं राज
*
राज राज ही रहे राज को हम कैसे बताएँ
मुँख ही नहीं है इसका बोलो कैसे हम दिखलाएँ
*
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू


पुलवामा के शहीदों पर कविता

कविता
बोलो प्रिये, तुम्हें कैसे करें हम प्यार

दिल में आज नहीं कोई खुशी, उमंग,
नहीं है आज कोई पर्व-त्योहार,
आज हीं के दिन दर्जनों सैनिक हुये शहीद,
बोलो प्रिये, तुम्हें कैसे करें हम प्यार।
बोलो प्रिय, ...।

कैसे भूलें हम पुलवामा के शहीदों को,
जिनका उजडा था धर- आँगन,परिवार,
उजड़ी जिनकी बसी हुयी दुनियाँ,
उजड़ा था उनका प्रेम- संसार।
बोलो प्रिये, ...।

मरनेवाले अपने हीं भाई थे,
मारनेवाले आतंकी,कसाई थे,
रोया था उस दिन देश सारा,
बहे थे हमारे भी अश्रु धार। 
बोलो प्रिये,...।

करें प्रण आज अपने दिल में,
करेंगे सदा अपने वतन से प्यार,
नहीं पलने देंगे आतंकी, गद्दार को,
कर देंगे उनका समूल संहार।
बोलो प्रिये, ...।

आओ करें नमन उन शहीदों को,
जिन्होनें दिया अपना जीवन वार,
आओ पोंछे उनके परिवार के आंसू
लायें उनके जीवन में खुशियाँ अपार।
बोलो प्रिय,...।
अरविन्द अकेला


अमर शहीदों की गाथा : शहिदों को प्रणाम 2022

अमर शहीदों की गाथा का, मैं आज गुण गान करूँ।
एक नहीं अनेक हुए शहीद, उनका बखान करूँ।।

देश की रक्षा के लिए जीवन, अपना बलिदान करूँ।
यही सिखाया माँ ने, औरों की रक्षार्थ किया करूँ।।

धन्य हुई वह कोख, उस धन्य कोख का वंदन करूं।
जब भी जन्म हो मेरा, हर बार भारत माँ का लाल बनू़ँ।।

भारत का लाल कहला, बेटा मैं तेरा जैसा जनूँ।
जब भी हो जन्म मेरा, माँ कोख तेरी चूना करूँ।।

हर घड़ी हर पल मैं, तेरा इन्तजार किया करूँ।
तुम खेलों रंगों से होली, मैं खून से होली खेलूँ।। 

घर में तुम दिप जलाते हो, मैं बारूदी सुरंग बिछादूं।
शहीद दिवस पर मैं कैसे? अहसान चूकता करूँ।।

साल में एक बार मूर्तियों पर, श्रद्वासुमन चड़ाने वालों की बात करूँ।
स्वतन्त्रता सेनानियों की बेवाओं की अभावग्रसिता का बखान करूँ।।

हजार रुपयों में माँ-बच्चे भूख से बिलबिलाते- कहो तो बताया करूँ।
बैंकों के अधिकारी १०% की बात करते हैं- कहो तो गिनवाया करूँ।।

पुष्पा निर्मल
बेतिया, बिहार
संपर्क: 7004973758

पुलवामा के शहीदों पर कविता | पुलवामा शहीदों पर शायरी

मुक्तक- फुलावामा शहीदों की याद में

प्यार मोहब्बत का दिन सबको प्यार लूटा दीजिए ।
हुए जो शहीद फुलवामा मे अब आंसू बहा दीजिए।
जिन जवानों की राह में पलके बिछाते आए है हम।।
रक्त रंजित निकली अर्थियो को कंधा लगा दीजिए।
श्याम कुंवर भारती


भोजपुरी मुक्तक- हमरो फुलगमवा

कईसे भुली जाई सजनी ओही सहादत के दिनवां।
होई गइले शहीद केतना जवान हमरो फुलगमवा।
करी प्यार तोहसे कम हम ना देशवा के जानी जान।
 नमन शहीद करी भरी आवे याद करी के नयनवा।
श्याम कुंवर भारती

14 फरवरी को 44 जिंदगीयों को,

याद कर लेना..
"हैप्पी वैलेंटाइन" कहने से पहले,
आंखों में आंसू भर लेना..
करके बलिदान अपनी जानें, जो,
वतन का एहतराम कर गए..
ओढ़ के तन पर, तिरंगे को देखो,
फ़र्ज़ को अपने,सलाम कर गए!

आज हैप्पी वैलेंटाइन नहीं..
"पुलवामा शहीद अमर रहे"
कहिए।
हरजीत सिंह मेहरा

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