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नाई पर शायरी Poem Shayari On Barber Hairdresser नाई पर कविता

नाई हज्जाम पर शायरी Shayari On Barber Hairdresser नाई पर कविता

नाई पर शायरी Poem Shayari On Barber Hairdresser नाई पर कविता

चित्राधारित लेखन
नाई
हमारे ही समाज का एक भाई।
दाढ़ी बाल बनाने वाला है नाई।।
मानव को है सुंदर सभ्य बनाता।
झुककर रहना हमें वह सिखाता।।
स्वयं करता ग्राहक हेतु अर्पण।
सम्मुख रखता ग्राहक को दर्पण।।
बाल काटता औ करता मसाज।
सेवा से कभी आता नहीं बाज।।
ग्राहक नाई एक दूजे पे समर्पित।
दोनों ही करते निज को अर्पित।।
तन मन से सेवा कोई नहीं छाव।
सच्ची सेवा अंदर नहीं कोई घाव।।
ग्राहक भी हो जाते वहाँ मुलायम।
नाई रखता निज उसूलें कायम।।
मर्जी से नाई उसका सिर घुमाता।
दाएँ बाएँ ऊपर नीचे झुकाता।।
देता नाई हम सबको एक संदेश।
हम तुम झुकें अंदर हो न कुछ शेष।।
दर्पण देख झाँक लो निज अंदर।
तुम मानव हो या हो एक बंदर।।
देख लो एक सामाजिक दर्पण।
समाज के प्रति कैसे हो अर्पण।।
अरुण दिव्यांश 9504503560

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