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अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर कविता Poem in Hindi on International Mother Language Day

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर कविता हिंदी में

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
हिन्द में जनम पालन पोषण,
हिन्दी हो गईल राष्ट्रीय भाषा।
भाषायी क्षेत्र में जनम करम,
ओकरो मन में बा अभिलाषा।।
भोजपुरिए में जनम आ करम,
भोजपुरिए के हमनी पर कर्जा।
मैथिली मगही मिलल मान्यता,
भोजपुरी के काहे ना मिली दर्जा।।
विनती हमर इहे बा सरकार से,
एकरा के रउआ करीं स्वीकार।
भोजपुरिए बा हमनी के आधार,
भोजपुरी पे हमनी के अधिकार।।
भोजपुरी आदमी कहँवा नईखन,
देशो विदेश कहीं बचल नईखे।
कोना कोना भरल बा भोजपुरिया,
हर देश में भोजपुरी जाके पईठे।।
एह से जादा खासियत का चाहीं,
जनसंख्यो में में बा दूसरा स्थान।
मैथिली मगही के मान बढ़वलीं,
भोजपुरियो के दिहीं अब सम्मान।।
कवन भाषा अश्लीलता से वंचित,
कवना भाषा में नईखे तकरार।
हर चीज में कुछ अपवादो होला,
तबहुओं रहेला उहे बरकरार।।
भोजपुरी पे रउआ लांछन लगाके,
काटत बानी रउओ आपन रास्ता।
हर भाषा राउर आपन प्रिय बाटे,
भोजपुरी से कवनो नईखे वास्ता।।
एक अंगना में दूमंगना इहे कहाला,
काहे होत बा सौतेला इ व्यवहार।
यश छोड़ अपयश कहाला इहे,
यश खड़ा आके रउआ बा दुआर।।
जल्दी अपनाईं बेगराईं मत हमरा,
अबहुओं होखीं रउआ तईयार।
निहोरा हमर इहे अब रउआ से,
भोजपुरियो करीं रउआ अंगीकार।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
अरुण दिव्यांश 9504503560
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