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बवासीर के घरेलू उपाय बवासीर के कारण लक्षण और बचाव Piles Treatment At Home in Hindi

बवासीर के घरेलू नुस्खे बताइए Piles Ke Gharelu Upchar Bataye

बवासीर या Piles के लक्षण
बवासीर या Piles कहने में बहुत साधारण सा लगता है लेकिन यह बेहद खतरनाक बीमारी है इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के मल त्याग के समय मलद्वार में जब कोई अवरोध या किसी प्रकार की रूकावट उत्पन्न हो जाती है तब वही समस्या “पाइल्स” कहलाती है। बवासीर या Piles पीड़ादायक अर्श या मस्से के नाम से भी जाना जाता है। अंग्रेजी में बवासीर को Hemorrhoid ( बवासीर ) कहा जाता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को मल त्याग करने के समय काफी दर्द होता है। कभी-कभी मल त्याग करने के लिए काफी ज़ोर लगाने पर रक्त भी निकलने लगता है। इसी प्रकार की समस्याओं को बवासीर या Piles कहा जाता है।

कभी कभार बवासीर के मरीजों में ऐसा भी देखा गया है कि मल के साथ रक्त भी बहता रहता है। पाइल्स में इस प्रकार की समस्या आम हो जाती है। बवासीर या Piles की बीमारी का मुख्य कारण गलत खान पान तथा जीवन शैली का होना है। परंतु थोड़ी सी सावधानी रखकर इनसे बचाव किया जा सकता है। तो चलिए आज जानते है बवासीर के कारण लक्षण और घरेलू उपाय Piles Treatment At Home


What is Piles पाइल्स क्या है

पाइल्स एक बहुत गंभीर बीमारी का नाम है आप सभी ने अक्सर लोगों को कहते हुए सुना होगा की उसे बवासीर की बीमारी हो गई है। उसके मल निकासी के मार्ग में अधिक सूजन आ गई है जिससे उसके मल त्यागने में बड़ी पीड़ा और कठिनाई आ रही है। मल के साथ रक्त भी गिरने लगते हैं। यही पाइल्स की बीमारी के लक्षण हैं। ज्यादातर 45 या 65 वर्षों के बाद यह बीमारी उत्पन्न होने लगती है।

बवासीर के प्रकार Type Of Piles

Piles या बवासीर दो प्रकार के होते हैं । खूनी बवासीर और बादी बवासीर। परंतु Plies या बवासीर को कई प्रकार से वर्गीकरण किया जा सकता है।

रक्त बवासीर Thrombosed Hemorrhoids

खूनी वबासीर : जब कोई बवासीर का मरीज मल त्याग करता है उस दौरान उसके मल के साथ कुछ खून भी आता है। यह खूनी बवासीर के लक्षण है यह बवासीर मरीज़ में बहुत कमज़ोरी ला सकती है क्योकिं इसमें खून लगातार मल के साथ बहता रहता है। इसका कारण है कि इसमें खून के थक्के जमने लगते हैं यही थक्के अंदर और बाहरी हिस्से को प्रभावित कर खूनी बवासीर में परिवर्तित हो जाते हैं। यह बहुत खतरनाक रोग है।


प्रोलेप्सड बवासीर Prolapsed Hemorrhoifs

प्रोलेप्सड क्या होता है ? हमारा शरीर हज़ारो, लाखों मांसपेशियों से जुड़ा हुआ होता है जो हमारे शरीर को एक दूसरे अंगों से जकड़कर और पकड़कर रखती हैं। अगर एक भी मांसपेशी ढीली या इधर उधर हो गई तो समझिए शरीर का सारा तंत्र System ही बिगड़ गया।

महिलाओं का गर्भाश्य, मूत्र नली, और आंत को कुछ महत्वपूर्ण मांस पेशियों द्वारा जोड़कर और पकड़कर रखा गया है जब यही मांसपेशियां क्षतिग्रस्त या किसी कारण से कमज़ोर हो जाती हैं या फिर यह भी कहा जा सकता है कि पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों में ढीलापन आ जाने से वह कमजोर हो जाती हैं और नीचे की ओर लटक जाती हैं। तो ऐसी ही स्थिति को प्रोलैप्स होना कहा जाता है।

प्रोलेप्सड बवासीर : जब हमारे मल द्वार के भीतरी हिस्से में सूजन आ जाती है एवं मल त्याग करते समय ऐसा महसूस होता है कि कोई चीज नीचे को आ रही है या लटक रही है। यही स्थिति प्रोलेप्सड बवासीर कहलाती है। यह एक गांठ की जैसी लगती है और गुदा द्वार के मुँह पर स्थित होती है। हाथ से छूने पर इस गाँठ को अलग महसूस की जा सकती है।


अंदरुनी बवासीर Internal Hemorrhoids

अंदरुनी बवासीर ज्यादा हानिकारक नहीं होती है। यह समय पर अपने आप ठीक भी हो सकती है। आसल में अंदरुनी बवासीर गुदा में बहुत भीतर तक गहराई में जाकर विकसित होती है। इसे छूना और देख पाना संभव नहीं हो पाता कि इस प्रकार की कोई बीमारी किसी मरीज में है भी या नहीं।

बाहृय स्तर की या बाहरी बवासीर External Hemorrhoids

बाहरी हिस्से में होने वाली बवासीर यह मलाशय के ठीक ऊपर मुँह पर विकसित होती है। यह भी कहा जा सकता है कि जिस जगह से हम मल त्याग करते हैं उसी जगह पर इसका जन्म होता है। इससे भी कोई खास गंभीर समस्या उत्पन्न नहीं होती लेकिन अगर मल त्याग करने में किसी प्रकार की कठिनाई हो रही हो अथवा दर्द हो तो चिकित्सक के पास जरूर जाना चाहिए।

पाइल्स के लक्षण Symptoms Of Piles

पाइल्स के लक्षण Common Symptoms है मल त्याग करने में दर्द महसूस होना।

कभी कभी मल त्याग करते समय खून भी मल के साथ निकलता रहता है।

गुदा में हमेशा खुजली या खारिश का होना भी बवासीर के लक्षण हैं।

मल त्याग करते समय भयंकर पीड़ा अनुभव होना ऐसा महसूस हो मानो कोई वस्तु अटक रही है।

गुदा से सफेद रंग का चिपचिपा तरल पदार्थ निकलना।

गुदा द्वार पर सूजन आ जाना या मस्सों का बढ़ जाना। ये मस्से बीमार व्यक्ति के बैठने पर भी उसे चुभते रहते हैं।


पाइल्स के कारण Causes Of Piles

कभी कभार मल त्याग करने के दौरान मल द्वार की नसों में खिचांव उत्पन्न हो जाता है जिससे वहाँ सूजन आ जाती है। यह सूजन कुछ कारण से भी हो सकती है।

टायलेट मे अधिक देर तक बैठे रहना।

अधिक ज़ोर या फिर दवाब देकर मल का त्याग करने से भी ये बीमारी उत्पन्न हो सकती है।

कभी कभी लंबे समय तक दस्त की समस्या से भी यह बीमारी उत्पन्न हो सकती है। जिन लोगों को मल सख्त आता है और दो- दो दिन तक नहीं आ पाता उनको तो यह बीमारी और जल्दी हो जाती है।

कुछ अन्य कारण
आयु के बढ़ने से शरीर जब बूढ़ा होने लगता है तो कमज़ोरी भी आनी शुरू है जाती है। जवानी में जो ऊतक हमें बीमारियों से बचाते हैं वही उत्तक उम्र बढ़ने के साथ कमज़ोर भी होने शुरू हो जाते हैं। इस कारण भी बवासीर उत्पन्न होकर गुदा पर उभर सकती है।

मोटा शरीर भी बवासीर की समस्या को उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार है। जब शरीर के भीतर पेट की मांसपेशियों पर अधिक दबाव पड़ेगा तो गुदा पर भी दबाव पड़ना शुरू हो जायेगा और बवासीर उत्पन्न हो सकती है।

जब औरतें गर्भवती होती हैं तब उनके पेट के भीतर का दबाव बढ़ने लगता है। जैसे जैसे पेट का आकार बढ़ता है वैसे वैसे गुदा की नसों में भी खिंचाव पैदा होकर उनमें सूजन आने लगती है। यही सूजन खुजली का रूप ले लेती है तथा आगे चलकर बवासीर बन जाती है।


एनल सेक्स भी बवासीर को बढ़ाने में पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। जब भी व्यक्ति गुदा से सेक्स करेगा तो उस जगह की मासंपेशियों में अत्यधिक खिंचाव आ जायेगा। और सूजन आने व उस जगह के फैलने के कारण बवासीर हो जायेगी।

कभी कभार अधिक बोझ उठाने से भी बवासीर हो जा सकती है। इसके अलावा घंटो तक लगातार खड़े रहना या बैठना भी बवासीर को उत्पन्न कर सकता है।

कब्ज़ तो बवासीर के लिए पहले स्थान पर जिम्मेदार है।
कुछ औरतों या मर्दों के पारिवारिक इतिहास को देखा जाए तो बवासीर की बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी होती गई है। आनुवंशिक कारणों से भी गुदा की दीवारें क्षीण हो जाती हैं और यह बीमारी उत्पन्न होने लगती है।

पाइल्स का घरेलू इलाज हिंदी में Piles Treatment At Home in Hindi

पाइल्स या बवासीर से बचाव का सबसे अच्छा उपाय यह है कि अपने खान पान पर अधिक ध्यान देना चाहिए। अगर फाइबर युक्त भोजन लिया जाए जैसे चोकर मिले आटे की रोटी, फाइबर वाले फल, अंकुरित दाले तो इन सब चीजों के सेवन से मल नर्म व मुलायम आयेगा और अधिक देर तक मल त्याग के लिए बैठना भी नहीं पड़ेगा। कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देने से Piles की बीमारी से बचा जा सकता है।


पानी अधिक से अधिक पीयें। पानी जितना भी हो सकता है अधिक पीना चाहिए। पानी पीने का तरीका भी यहाँ बताया गया है।
✓ अधिक ठंडा पानी न पीए।
✓ हमेशा normal temperature पर पानी पीएँ।
✓कभी भी खड़े होकर गट -गट करके पानी नहीं पीना चाहिए।
✓ आराम से कुर्सी या बेड पर बैठकर ही पानी पीना चाहिए।
✓ पानी बीच बीच में एक अंतराल में थोड़ी थोड़ी देर में पीना चाहिए इससे किडनी पर भी असर नहीं पड़ता और पानी पूरे शरीर में आराम से पहुँच जाता है।

✓ टॉयलेट में अधिक देर तक नहीं बैठे
अगर व्यक्ति को मल त्याग करने में अधिक देर लग रही है और उसे ऐसा महसूस हो रहा है कि मल आने वाला है लेकिन आ नहीं पा रहा तो शीघ्र ही स्वयं को स्वच्छ करके टॉयलेट सीट से उठ जाना चाहिए। स्मरण रहे कि यदि कोई भी टॉयलेट सीट पर ज्यादा देर तक बैठता है तो गुदा के आसपास की रक्त पेशियों पर अधिक दबाव पड़ेगा और रक्त नलियों में उतरकर गुदा मार्ग में आ सकता है।
अपना मोबाइल या समाचारपत्र टॉयलेट में कभी भी नहीं ले जाना चाहिए। इससे व्यक्ति समाचारपत्र पढ़ने या फिर फोन पर बात करने में व्यस्त हो जाता है और उसे पता ही नहीं चलता कि उसे टॉयलेट में बैठे कितनी देर हो चुकी है।


✓ सही समय पर मल त्यागने की आदत अपनाएं
प्रायः ऐसा देखा जाता है कि लोग काम में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि काम करने के समय उन्हें मल त्याग करने की इच्छा होती है तो वह अनदेखी कर देते हैं। ऐसा करने से मल अंदर आँतों में पड़ा सूख जाता है और जब उसे बाहर निकालने का प्रयास किया जाता है तो बहुत सख्त मल निकलता है। उसके साथ रक्त की कुछ बूंदे भी आ जाती हैं।

✓ व्यायाम करें
सभी को व्यायाम करने की आदत डालनी चाहिए। अगर कोई व्यायाम पहली बार कर रहा है तो सावधानी पूर्वक हाथों व पैरों को हिलाना डुलाना चाहिए।

इससे लचक आने की संभावना कम होगी। शुरू में कम व्यायाम करनी चाहिए फिर धीरे धीरे समय बढ़ाना चाहिए। इससे शरीर थकेगा नहीं और मोच आदि भी नहीं आयेगी। जब शरीर गतिमान स्थिति में रहेगा तो मल त्याग सरलता से हो जायेगा।

पाइल्स का घरेलू उपाय Home Remedies Of Plies

घर ही से बवासीर के इलाज की शुरुआत कर सकते हैं।
फाइबर युक्त फलों जैसे पपीता, अंजीर, जामुन, केला, ब्लैक बेरी, सेब वगैरह का सेवन अवश्य करना चाहिए।

भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां अवश्य शामिल करनी चाहिए।
प्याज, अदरक तथा लहसुन कब्ज़ की बीमारी को दूर करने में बहुत लाभदायक पाए गये हैं।

सभी दालें समय समय पर बदलकर और साबुत अनाज खाते रहना चाहिए।

कभी कभार देखा गया है कि परिवार के किसी सदस्य को कब्ज़ की शिकायत रहती है तो ऐसे में उसे कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर रोटी के साथ खिलानी चाहिए। यदि यह नहीं खा सकता तो पका पपीता खाने को अवश्य देना चाहिए। पेट एक दम साफ हो जायेगा।

सूखे मेवे किशमिश, बादाम, अखरोट, काजू भी थोड़ी थोड़ी मात्रा में अवश्य लेना चाहिए इससे शरीर में लौह तत्व की पूर्ति होती है।

अगर पेट फूलने या एसीडिटी की समस्या आ गई हो तो नीबूं के रस की चार पाँच बूंदे गुनगुने पानी में डालकर अवश्य पीनी चाहिए।

गैस की समस्या से निजात के लिए लहसुन की एक छोटी कली हल्के गुनगुने पानी के साथ सुबह सुबह खाली पेट लेना चाहिए।
पानी अधिक पीएं

कोई भी घरेलू ईलाज करने से पूर्व एक बार डॉक्टर परामर्श अवश्य लेनी चाहिए।


क्षार सूत्र के द्वारा बवासीर का इलाज कैसे करें

क्षार सूत्र बवासीर का रामबाण इलाज है। यह बवासीर को जड़ से समाप्त करने में काफी कारगर साबित होता है। सबसे पहले जानते हैं कि क्षार सूत्र क्या है ? यह एक प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है जो बवासीर, फिशर, भगन्दर, तथा मल मार्ग से सम्बंधित सभी प्रकार के रोग का ईलाज करने की एक कारगर पद्धति है।


क्षार सूत्र से बवासीर ( Piles ) का उपचार कैसे करें

एक धागे को इस्तेमाल में लाया जाता है जो क्षार सूत्र द्वारा उपचारित धागा कहलाता है। इससे उपचार करने में 21 दिनों का समय लग सकता है। इसमें अपामार्ग क्षार, थुहर का दूध, हल्दी वगैरह औषधियों को इस्तेमाल में लाया जाता है। यह एक बहुत कारगर उपचार विधि है इसके बाद दोबारा कभी पाइल्स हो ही नहीं सकता है।

इस उपचार के समय एक तरह का लेप तैयार किया जाता है जो तीन मुख्य औषधियों, अपामार्ग क्षार के 7 लेप, स्नुही क्षीर के 11 लेप, हरिद्रा चूर्ण के 3 लेप द्वारा तैयार किया जाता है इन सभी को एक दृण सर्जिकल सूत्र में 21 बार लेप करने के बाद एक महीने में तैयार किया जाता है। इस ईलाज में रोगी को अस्पताल में रहने की कोई विशेष आवश्यकता नहीं रहती है।


कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना पड़ता है। रोजाना के कार्य रोगी सावधानीपूर्वक कर सकता है। यह एक विशेष प्रकार की चिकित्सा पद्धति है। बवासीर की बीमारी से पीड़ित रोगियों को क्षार सूत्र में एक बार बांधा जाता है उसके बाद मस्से गिरने तक रोगी को अस्पताल जाना पड़ता है वह भी कभी कभार इसकी आवश्यकता होती है।

बवासीर व फिशर में रोगी की गुदा लगभग 10 से 15 दिनों में ठीक हो जाती है। भगन्दर का समय बता पाना संभव नहीं है इसलिए कि भगन्दर भी कई प्रकार के होते हैं और यह इस बात पर निर्भर करता है कि रोगी की स्थिति, हालत, व मनोदशा कैसी है। बहुत से रोगी बड़े से बड़ा दर्द भी सहन कर लेते हैं और कुछ एक सुई से भी डर जाते हैं।

क्षार सूत्र के बाद भोजन

Piles रोगी को तला भुना भोजन, मैदा व मैदे से बनी चीज़े कोशिश करें कि दूर ही रहें। तेल, घी, खटाई से दूर रहना चाहिए।

मांस मछली शराब आदि से दूर रहें। शाकाहारी भोजन का सेवन करें

खाने मेंं पत्तेदार हरी सब्जियों को खाएं।
मल त्याग के समय अधिक ताकत ना लगाएं और अधिक देर तक बैठें भी नहीं।

वजरासन, कपालभाति योग, योगासन करें। कुछ समय के लिए दो पहिया वाहन का इस्तेमाल ना करें और लगातार बैठे ना रहें। पैदल चलने की आदत अवश्य डालें। जो चिकित्सक ने बताया है उसी नियम मानें।

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