हिंदी कहानी : लघु कथा - मन का प्यार Love Stories In Hindi : Man Ka Pyar
लघु कथा - मन का प्यार
कम्पनी के ऑफिस से निकलकर प्रियांस अपनी कार को गेरेज से निकालकर अपने घर की तरफ चला। बारिश की वजह सर्दी का मौसम और कंपकपी पैदा कर रहा था। शाम होते ही सभी अपने अपने घरों मे जाने के लिए बेचैन थे। प्रियांश कुछ ही दूर निकला होगा कि बा स्टाप पर उसे ऋचा शर्मा बस का इंतजार करते हुए नजर आईं। उसने उसके पास पहुंचकर अपनी कार खड़ी कर दी और आवाज लगाकर कहा - अरे ऋचा तुम यहां तुम्हारी स्कूटी कहा है। ऋचा ने प्रियांश को देखकर मुस्कुराते हुए कहा - मेरी स्कूटी आज खराब हो गई है प्रियांश इसलिए बस का इंतजार कर रही हूं। देखो न ठंड बढ़ गई है और बस भी जल्दी नहीं आ रही है। चिंता मत करो आओ मेरे साथ मै तुम्हारे घर छोड़ देता हूं। ऋचा ने कुछ सोचा और आकर बैठ गई। रास्ते में प्रियांश ने कहा ऋचा ठंड काफी बढ़ गई है चलो कहीं अच्छी से रेस्टुरेंट ने काफी पीते है अगर तुम्हे कोई ऐतराज नहीं हो तो। ठीक है मगर ज्यादा देर न हो वरना घर में सभी चिंता करेंगे। ठीक है चलो चलते है।
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प्रियांश आयात निर्यात कम्पनी का मैनेजर था और ऋचा उसी कम्पनी मे कैशियर थी। प्रियांश उसे दिल ही दिल चाहता था मगर कभी अपने दिल की बात ऋचा के सामने नहीं कहा।
काफी पीते हुए ऋचा अचानक काफी उदास हो गई। प्रियांश ने उसकी उदासी का कारण पूछा। पहले तो उसने इनकार किया मगर जब उसने काफी जोर दिया तो उसने अपने कॉलेज के दिनों में एक आकाश नाम के लड़के से हुए प्यार की कहानी बताई। उसकी कहानी सुनकर प्रियांश को बड़ा धक्का लगा। आखिर उसकी चाहत का कोई और चाहत है। ठीक मगर तुम्हारी समस्या क्या है उसने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा। ऋचा अचानक रोने लगी। चुप हो जाओ ऋचा यहां सारे लोग देख रहे है तुम्हे और बात है बताओ शायद मै तुम्हारी कोई मदद कर सकूं।
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ऋचा ने अपने आंचल से अपने आंसू पोछे और कहा - दरअसल आकाश ने मुझे धोखा दिया है। वो मुझसे नहीं मेरे शरीर से प्यार करता था। उसे मेरी खूबसूरती से प्यार था। उसने मुझसे शादी का झांसा देकर मुझसे शारीरिक सम्बन्ध भी बना लिया। अब वो मुझसे शादी करने से इंकार कर रहा है। सबसे चिंता वाली बात है मेरे पेट में उसका चार महीने का बच्चा भी है। अगर उसने मुझसे शादी नहीं कि तो मै बर्बाद हो जाऊंगी। घर वालो को पता चल जाएगा तो हंगामा मच जाएगा। मेरे मम्मी पापा बदनामी के डर से बिना मौत मर जाएंगे। मै क्या करूं प्रियांश मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है। वो फिर रोने लगती है।
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सुनकर प्रियांश का दिल धक्क से रह जाता है उसे लगा उसकी आंखो के सामने अंधेरा छा जाएगा और वो चकराकर गिर पड़ेगा। मगर बड़ी मुश्किल से उसने खुद को संभाला और उसे चुप कराते हुए लड़खड़ाती आवाज में पूछा तो अब क्या करोगी?
और क्या करूं उसने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा है। उसके पास मेरे कुछ फोटो और वीडियो है जिससे वो मुझे ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा है। वो चाहता है मै अबार्सन करा लूं और उसके साथ सम्बन्ध बनाते रहूं। अब तुम ही बताओ मै क्या करूं। जिसे मै दिलो जान से चाहती थी उसकी धोखेबाजी की वजह से उससे नफरत करती हूं उससे अपना पूछा छुड़ाना चाहती हूं।
तुम चिंता मत करो चलो मै तुम्हारे घर छोड़ देता हूं। मै कुछ करता हूं।
प्रियांश ने दूसरे दिन अपनी कम्पनी के वकील से ऋचा की कहानी बताकर उपाय पूछा। वकील ने कहा - तुम जाकर आकाश को साफ शब्दों में कह दो अब तक उसने जो किया वो किया अब आगे से परेशान किया तो किसी लड़की का शारीरिक शोषण करने और शादी का झांसा देने धमकी देने और ब्लैकमेल करने के आरोप में कई सालो के लिए जेल कि हवा खाएगा।
चूंकि तुम उससे प्यार करते हो और इतना होने के बाद भी तुम ऋचा से ही शादी करके उसके पेट में पल रहे बच्चे को अपना नाम देकर उसकी और उसके परिवार वालों को बदनामी से बचाना चाहते हो इसलिए इस मामले को अब यही दबाना होगा। वरना उस धोखेबाज को मै जेल में सड़ा देता।
प्रियांश की धमकी सुनकर आकाश ठंडा पड़ गया। उसने उससे अपने किए के किए माफी मांगी और आगे से ऋचा की जिंदगी में दखल नहीं देगा उसने वादा किया।
इतना सब होने के बाद भी प्रियांश का उससे विवाह का प्रस्ताव सुनकर ऋचा आश्चर्य से प्रियांश को देखती रह गई। उसकी जुबान से शब्द नहीं निकल रहे थे। उसकी आंखो से टप टप आंसू टपक रहे थे।
आज की मतलबी दुनिया में भी प्रियांश जैसे देवता रहते है उसे देखकर भगवान पर भरोसा और बढ़ गया।
समाप्त
लेखक - श्याम कुंवर भारती
बोकारो झारखण्ड
मोब 9955509286
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