जब पहली बस आई Jab Pahli Bus Aai
टीकमगढ़ में पहली बस आई। बस को देखने के लिये दूर-दूर के गाँव बाले इकट्ठा होने लगे। जैसे ही बस हॉर्न सुनाई दिया सब लोगों की आँखें रोड से हट नहीं रहीं थी। कई लोग बस को आने कर लिए रास्ता साफ़ कर रहे थे। तो कोई सोच रहा था कैसे बस में बैठते है। जैसे ही बस आई रुकी और दो मिनट में चली गई। पर गाँव वालों के सवाल कहा कम होने वाले थे। वही टीकमगढ़ के पास गांव दरगांय में रहने वाले लड़के ने बस को देख कर उस के मन में बस लेने की इच्छा होनें लगी।
टीकमगढ़ में पहली बस आई
एक दिन खेत में काम करते करते जैसे ही बस की आवाज़ सुन्नी तो पास में ख़डे राजू से बोलता है राजू देख टीकमगढ़ वाली बस आ गई कल हम भी बस लेने जायेगे, राजू पूछता है तुम इतना पैसे कहा से लाओगे?राजू बोलता है हमारे दो बैल थे एक मर गया अब एक काम का नहीं रहा, हम उसे बेच कर बस लेंगे तभी पास में काम कर रहा नीरज बोलता है तुम्हारी बस चलायेगा कौन?राजू सामने आता देख चेतु की ओर इशारा करते हुए बोला ये चलायेगा फिर नीरज बोलता है और कंडक्टर कौन बनेगा राजू बोलता है हम बनेंगे अरे कैसे भी आदमी से पैसे निकलवा सकते है तभी चेतु बोलता तेरी बस में बैठेगा कौन तभी नीरज और राजू बोलता अरे अपन सब तो है बैठने के लिये। नीरज बोलता अरे अपन न टीकमगढ़ की रास्ता तो देखा नहीं कैसे जायेगे चेतु बोलता है अरे अपन ने नहीं देखी तो क्या हुया बस ने तो देखी है वो चली जायेगी।
प्रतिभा जैन
टीकमगढ़ मध्यप्रदेश
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