Ticker

6/recent/ticker-posts

सनातन धर्म क्या है : सनातन धर्म ईश्वरीय आदिशक्ति है

सनातन धर्म क्या है : सनातन धर्म ईश्वरीय आदिशक्ति है

सनातन कौन है? धर्म, पंथ, फिरके, जाति, वर्ण आदी अलग अलग माइने रखते हैं। सनातन तो चकमक पत्थर भी नहीं...हटात् इत्तेफाकन धर्षण किया खेल-खेल में और चिनगारी देख आदिमानव खुश हुआ। बाद में इससे अग्नि उत्पन्न हुई। बहुत बाद में दानवानल और बाडवानल को समझ पाये। आज जलाई और हजारों साल बाद खाना पकाना सीखा। यह सब क्या है? वह पत्थर तो जड़ है। उसका धर्म तो बताना सहज नहीं पर बाद में उसकी गुणवत्ता को समझ बूझ कर यह निष्कर्ष निकाला विकासक्रम में कि चकमक का धर्म है जलाना दाह्य को और वह हुआ दाहक अपनी गुणवत्ता के आधार पर। पानी से क्षुधा तृप्ति देख जल का धर्म हुआ प्यास बुझाना।

Sanatan Dharm Kya Hai Hindi Mein

पंच तत्व का यह शरीर तो पृथ्वी का सर्वश्रेष्ठ प्राणी का माना गया। उसका भी धर्म होगा हीं। अब देखें इस शरीर की रक्षा हम ठंढ़ में गर्म वस्त्र धारण कर करते हैं, तो यह भी धर्म हुआ। एक ऋग्वैदिक ऋचा है--"धारयेति धर्म:" अर्थात अपने शरीर और मन को अग्रसारित करना और चीरायु होने के लिए अनुसंधान करना भी तो धर्म हीं हुआ। जागतिक्, आत्मिक् वा अध्यात्मिक शोधकर्म हितकारी हैं और यह सब धर्म की परीधि में आयेगा। इसे संजोया ऋषिमुनियों ने चार वेदों में। बाद में पुराण आये, अनेक विप्रश्रेष्ठों ने ग्रंथ लिखे, तीर्थंकर, पैगंबर और मसीहा आये, कुअरान सरीफ और बाइबल आदि लिखे गये। मान्यताएं, लोकाचार और परंपरायें आती गईं। लेकिन सभी में मयपन को नकारने का उपदेश है। इसे भूल कर मानव जाति बँटती गई। बड़ा छोटा का कुभाव आया, युद्ध हुए अपने फलसफे को सबसे बेहतर सिद्ध करने के लिये, अपने बर्चस्व को कायम रखने लिये या फिर अपना एम्पायर खड़ा करने के लिये शोषणचक्र चला कर। इसे अधर्म का नाम दें तो उचित प्रतीत किस आधार पर कहा जायेगा? सनातन जिसे हम समझते है वह नौ हजार वर्ष पूर्व देवाधिदेव भगवान् शंकर जी ने ध्वस्त करने का प्रथमतः आंदोलन किया अंतरजातीय और विधिवत् विवाह कर, मानव समाज को सुसंगठित करने के लिए हमारी पृथ्वी पर। कृष्ण ने भी सुधार किया। अनेक सुधारक आये और अँधविश्वास का धंधा इति करने के लिये महाअभियान छेड़े। कभी सतिप्रथा धर्म मानी गयी जो आज अधर्म और अपराध है।

सिंधु सभ्यता आर्य साम्राज्य का विस्तार

सिंधु सभ्यता आर्य जो कुछ अधिक विकसित थे अपने साम्राज्य का विस्तार कर आर्यावर्त विशाल भू खंड बना कर यहाँ बस गये यहाँ की उर्वरक भूमि और अपार खनिज देख कर। आर्यों का रहन सहन और आचार-विचार-आहार-व्यवहार पशुओं की तरह रहने वाले स्थानीय आदिवासियों अनार्यों से बेशक बेहतर था। इस श्रेष्ठतर जीवन शैली को हीं वे धर्म कह बैठे और लड़ने लगे। मैं ब्राह्मण हूँ, दान दो वरना नर्क में जाओगे।

मन हीं कर्म का और गति का कारण है

एकबार दो व्यक्ति बनारस गये। एक था साधू और दुसरा पियक्कड़। उतरे एक हीं ट्रेन से और बाहर निकल अपने - अपने रिक्से वाले को बोले---

साधु बोला कि मुझे वहाँ ले चलो जहाँ साधुओं का जमावड़ा हो...वह ले गया उसे दशाश्वमेर घाट। रम गया वह नेह में और तुष्ट हो ओज बटोर अपने गाँव लौट सतसंग करने लगा।

और, दुसरा पहुँच गया शराबखाने। पैसा कम पड़ा तो देशी सस्ती दुकान और पाउच! टुन्न हो कर पड़ गया किसी नाली में।

वही रिक्से वाला इत्तेफाकन उधर से गुजरा तो पहचान दया कर लाद स्टेशन पहुँचा दिया जहाँ एक गाँव वाला दया कर अपने पैसे से उसे उसके घर दयनीय अवस्था में पहुँचा दिया। ज़हर लिया था प्रचूर अतयेव रुग्ण हो बिछावन से चिपक गया।

फिर देखिये...स्वर्ग और नर्क की बात

कहा गया कि एक सुसंस्कारी स्वर्ग या विहिस्त में और एक कुसंस्कारी नर्क या दोज़ख में जाएगा।

अच्छा किया तो स्वर्ग अन्यथा नर्क जाएगा मन...जो सोंच सकता है पर इंद्रियों के अभाव में कुछ कर नही सकता और न हीं उसको सुख दुख का अनुभव होगा।

कोई भी अच्छे कर्म तो साथ हीं कुकर्म भी कर सकता है अपने जीवन में। याने ऐसे में वह दोनों जगहों पर जाएगा हिसाब चूकता करने के लिए। तब बतायें बँधु, पहले वह किस आधार पर कहाँ पहले जाएगा? अतयेव यह स्वर्ग व नर्क की धारणा त्रुटिपुर्ण है।

Sanatan Dharm Kya Hai Hindi Mein

ख़ुदखुशी और इच्छा मृत्यु अस्वभाविक मनसा है। जो साधक हैं, वे इच्छा मृत्यु भावग्रसिता से बचें......

तथाकथिक धर्म के ठेकेदारों के लिये एक फर्मूला-- "किसी का अहित न सोचो न करने की कोशिश करो, काफी है सद्गति हेतु। "
डॉ. कवि कुमार निर्मल
DrKavi Kumar Nirmal
कट्टर हिन्दुओ का समूह
हिंदुत्व दर्शन
अरेराज दर्शन
अरेराज दर्शन समाचार पत्र
हिंदू महासभा

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ