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विकलांग दिवस पर निबंध | अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस International Day of Disabled Persons 2021

विकलांग दिवस पर निबंध | अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस International Day of Disabled Persons 2021


International Day of Disabled Persons 2021
"दिव्यांग के प्रति : विकलांग हैं तो क्या हुआ! वे किसी से कम नहीं हैं
सामान्य लोग जो कि विकलांग नहीं है, जब किसी विकलांग व्यक्ति को देखते हैं, तो उनके मन में हास-परिहास सूझता है। वे उनकी विकलांगता का अनुभव नहीं करते, इसलिए उन्हें परिहास सूझता है। सामने से अगर कोई विकलांग व्यक्ति गुज़रे और साथ में अगर दो-चार दोस्त हों तो उनकी महफ़िल जम जाती है और उस विकलांग व्यक्ति के प्रति सहानुभूति रखने के बजाय उनका मज़ाक उड़ाते हैं। उनके अच्छाइयों पर पर्दा करके उनके शारीरिक बनावट पर हँसते हैं। बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो उनकी विकलांगता का अनुभव करते हैं और उन्हें समझते हैं और वहीं लोग उनके प्रति सहानुभूति रखते हुए उनकी सहायता के लिए तत्पर होते हैं।

अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर वृत्तांत लेखन

विकलांग हैं तो क्या हुआ! वे किसी से कम नहीं हैं! बल्कि सामान्य लोगों से वे विशिष्ट होते हैं। उनके पास भी वह क्षमता है, जो दुनिया बदल सकती है। विकलांग व्यक्तियों में सामान्य व्यक्तियों से अधिक बौद्धिक क्षमता होती है और उनमें विशिष्ट गुण होते हैं। जिनसे वे समाज व राष्ट्र में अपनी एक अलग पहचान स्थापित करते हैं। जरूरत होती है उन्हें प्रोत्साहन की, जिससे उनमें आत्मविश्वास जागृत होता है और वे अपने विशिष्ट गुणों की पहचान कर आगे बढ़ते हैं।

यूनेस्को ने किस वर्ष को विकलांगों का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया

समाज में उनकी बराबरी के विकास के लिये विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिये, सामान्य नागरिकों की तरह ही उनके सेहत पर भी ध्यान देने के लिये और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिये। प्रतिवर्ष 3 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस या अंतर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस मनाया जाता है। वर्ष 1976 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा के द्वारा "विकलांग जनों के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष" के रूप में वर्ष 1981 को घोषित किया गया था।

अंतरराष्ट्रीय विकलांग वर्ष कब घोषित हुआ

विश्व विकलांग दिवस के लिए वार्षिक ऑब्जरवेशन की घोषणा यूनाइटेड नेशंस ने जनरल असेम्बली रेजोल्यूशन में 1992 में की थी। जनरल असेम्बली रेजोल्यूशन 47/3 के तहत यह वार्षिक ऑब्जर्वेशन घोषित किया गया था। इसका उद्देश्य समाज के सभी क्षेत्रों में विकलांग लोगों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देना है। इसके अलावा राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के हर पहलू में विकलांग व्यक्तियों की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यूनाइटेड नेशंस में विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों का कन्वेंशन 2006 में अपनाया गया।

Vishva Viklang Divas Kis Din Manaya Jata Hai विकलांग को दिव्यांग कब कहा गया

विश्व विकलांग दिवस का महत्व तब बढ़ जाता है, जब बात विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों की आती है। यही एक ऐसा दिन होता है, जब विकलांग व्यक्तियों के कल्याण की बातें की जाती हैं। समाज में हो रही उपेक्षा और उन्हें हीन भावना से देखे जाने वाली बातों पर अंकुश लगाने के लिए यह दिन ख़ास अहमियत रखता है। कला प्रदर्शनी, चित्रों आदि की गैलरी से इस दिन को मनाया जा सकता है। विकलांग व्यक्तियों को सम्मान देते हुए कार्यक्रमों का आयोजन कर उन्हें समाज में एक बराबर वर्ग बताते हुए जागरूकता फैलाई जा सकती है। विकलांग व्यक्तियों के कामों की तारीफ़ करते हुए उन्हें पुरस्कृत करने से इस दिन की अहमियत और ज्यादा बढ़ जाती है।

विश्व विकलांग दिवस के लिए थीम : सभी विकलांगताएँ दिखाई नहीं पड़तीं

इस साल विश्व विकलांग दिवस के लिए थीम- "सभी विकलांगताएँ दिखाई नहीं पड़तीं" ('Not All Disabilities are Visible') रखी गई है। यह विकलांगों की समझ और जागरूकता पर ध्यान केन्द्रित करती है। WHO के अनुसार दुनिया की 15 फीसदी आबादी विकलांगता के साथ जी रही है। न्यूरोलाॅजी समस्याओं के साथ जी रहे काफी लोग पेशेवर चिकित्सा का लाभ नहीं उठा पाते हैं। यह समाज में उनकी उपेक्षा और बराबरी का अधिकार नहीं मिलने के कारण है। मानसिक स्थिति और तनाव ऐसी विकलांगता है जो दिखाई नहीं देती है।
द्रौपदी साहू
छुरी कला, कोरबा, छत्तीसगढ़

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