बाल दिवस पर कविता : श्रीमती गीता देवी हिमधर
बाल दिवस पर कविता
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, चाचा नेहरू कहलाता।
चाचा नेहरू का बच्चों से था, बहुत पुराना नाता।
जन्मदिवस चाचा नेहरू का है, बाल दिवस कहलाता।
पढ़े-लिखे खेले कूदे, झूमे नाचे और गाएं।
जिसे देखकर हमें भी, अपना बचपन याद आए।
बच्चों का होता है दिल कोमल, इसे कठोर ना बनाएं।
बच्चों की जिज्ञासा गहरी, उसे उचित मार्ग दिखाए।
बच्चों के आंखों में कभी, आंसू ना आने पाए।
बच्चे होते हैं मन के सच्चे, सत्कर्म करना सिखाएं।
अपने इन्हीं कंधों पर बच्चों, राष्ट्र का भार उठाएं।
मेहनत और संघर्ष कर, देश को आगे बढ़ाए।
चलो मिलजुल कर हम सब, बाल दिवस मनाए।
हम बड़े भी बच्चों के संग,आज बच्चा बन जाए।
खेलें कूदें नाचे गाए, पतंग और गुब्बारा उडाएं।
बचपन में होती है खुशियां ही खुशियां, बचपन होता है अनमोल।
आता नहीं कभी दोबारा, समझो तुम इसका मोल।
बाल दिवस की शुभकामनाएं,चाचा नेहरू को प्रणाम।
श्रीमती गीता देवी
हिमधर
राज्यपाल पुरस्कृत व्याख्याता
शा. उ. मा. वि. फरसवानी
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