भजन गुरुदेव सिद्धेश्वर धाम सरकार श्री ब्रह्मसुत महाराज Bhajan Gurudev Siddheshwar Dham Sarkar Braham Sut Maharaj
सिद्धेश्वर धाम सरकार पाड़री बाबा का बेस्ट भजन - खबर मेरी लै जइयो, क्वारी के गुरु भगवान
खबर मेरी लै जइयो, क्वारी के गुरु भगवान ।। टेक
लीला तुम्हारी है सबसे निराली
भक्तों की नैया है तुमने संभाली
तुम करियो सदा कल्यान, क्वारी के गुरु भगवान ।। खबर 0
दुखिया जो कोई तेरे दर पे आवे
मनवांछित फल निश्चय सो पावे
नही कोई तुम्हारे समान, क्वारी के गुरु भगवान ।। खबर 0
ऊंची है शक्ति व महिमा तुम्हारी
हृदय मे बैठे हैं त्रिशूल धारी
हैं संग मे बली हनुमान, क्वारी के गुरु भगवान ।। खबर 0
भक्तन के प्रण पालन हारे
खड़े हैं लोग नाथ तेरे द्वारे
राखो सुत ' आर्यन ' को ध्यान, क्वारी के गुरु भगवान ।। खबर 0
आर्यपुत्र आर्यन जी महाराज
( भागवत रसिक व लेखक )
भजन गुरुदेव का
Gurudev Siddheshwar Dham Sarkar Braham Sut Maharaj
भजन गुरुदेव सिद्धेश्वर धाम सरकार श्री ब्रह्मसुत महाराज
गुरुदेव तुम्हारे चरणों मे हम शीस झुकाने आए हैं।
थी बहुत दिनों से आश लगी हम दर्शन पाने आए हैं।।
तुम करुणा रूप निराले हो सब भक्तों के रखवाले हो...
अपने जीवन की करूण दशा प्रभु तुम्हे सुनाने आए हैं।।
मैने देखा खूब जमाने मे पर तुम सा दयालू कोई नही...
भरकर मन मे वो भाव भक्ति अब अलख जगाने आए हैं।।
गिरते थे कभी जो कदम मेरे तूने कृपा करी तो संभल गए ...
चलते चलते तेरे दर पर नव ज्योति जलाने आए हैं।।
गुरु करो प्रभु कृपा करो दो ज्ञान हमें दुख दर्द हरो ...
आर्यन " ने लिखा जो गीत नाथ वो तुम्हें सुनाने आए हैं।।
श्री सिद्धेश्वर धाम सरकार श्री ब्रह्मसुत पाड़री बाबा की चालीसा
दोहा -
श्री ब्रह्मसुत ब्रह्मा सुवन, दया रूप भगवान
भक्तन की गुरु लाज रख, करौ सदा कल्यान।।
भक्तों के रक्षक हो तुम, क्वारी तट शुभ धाम
कहें आर्यन तेरो सदा, मन में भजते नाम।।
चौपाई -
जय जय मंगल करण कृपाला।
ब्रह्मा सुवन अजेय तुम काला।।
शक्ति रूप गुरु तुमको जाना।
गुरु को धरें सदा हम ध्याना।।
सिर पर मुकुट स्वर्ण को सोहे।
रूप देख सबको मन मोहे।।
भाल श्वेत सोहे गुरु चन्दन।
धर्म रूप हो पाप निकन्दन।।
पित आज्ञा धरणी पर आए।
शत्रुन अपने सखा बनाएं।।
श्वेतक अश्व की साज सवारी।
सुंदर रूप दोभुजा धारी।।
बाएं कर में दण्ड विराजे।
नदी को नीर कमंडल साजे।।
दाएं कर ब्रह्म पाश दिखावे।
वेद देव मय सदा सुहावे।।
कांधे मूंज जनेऊ धारे।
तुलसी माला गले में डारे।।
सोहे श्वेताम्बर सब तन में।
शिव महादेव बसे श्री मन में।।
श्री खड़ाऊ चरणन में धारी।
चटपट चाल चलै ब्रह्मचारी।।
जो नर निसदिन तुमको ध्यावे।
सुख सम्पत्ति की कमी ना आवे।।
क्वारी तट पर जन्म रचायो।
सारो कौतुक कर दिखलायो।।
पास बहै अति निर्मल नीरा।
क्वारी नदी हरै सब पीरा।।
हरे तरून की शीतल छाया।
साधू - संत निवास बनाया।।
जंगल मध्य पाड़री ग्रामा।
भयो ' पाड़री बाबा ' नामा।।
देवी सरस्वती बहन तुम्हारी।
आपकी ब्रह्माणी महतारी।।
भए ब्राह्मण वंश के उजागर।
वेद धर्म रक्षक गुण सागर।।
उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेशा।
मध्य स्थान पाड़री शेषा।।
निर्मल जहां नदी की धारा।
जन्म ब्रह्मसुत तहां अवतारा।।
जो द्वादशी व्रत करें हमेशा।
तन मन से सब कटें कलेशा।।
पावन चरित्र ब्रह्मसुत गाना।
तारहिं सिंधु बिना जलजाना।।
महिमा गुरु की सबसे न्यारी।
शम्भु प्रताप देव अवतारी।।
तन्त्र - मंत्र सबही के ज्ञाता।
कष्ट नसावत सुख के दाता।।
जो कोई भजन आपके गावे।
रोग - शोक भय नाहिं सतावे।।
सर्व शक्ति ब्रह्मसुत के संग में।
दया कृपा गुरु के अंग अंग में।।
सौम्य मूर्ति सुंदर गुरु रूपा।
पावन चरण तरहिं भव कूपा।।
जो कोई पढ़े ब्रह्मसुवन चालीसा।
सिद्धेश्वर धाम सरकार मुनीसा।।
कष्ट कटें सुख संपति पावें।
कमी नहीं काहू की आवे।।
दीनबंधु द्विज सुर हितकारी।
कृपा सिन्धु मानुष तन धारी।।
श्री गुरु हृदय बसैं गुण नाना।
परम शक्तिमय परम सुजाना।।
कहें ' आर्यन ' चरण चित धारे।
कृपा करहू गुरु क्वारी बारे।।
जय जय जय श्री गुरु तपधारी।
सदा आपकी जय जयकारी।।
दोहा -
सकल मनोरथ सिद्ध करि, चालीसा का गान।
कहें ' आर्यन ' गुरुवर करें, भक्तन को कल्यान।।
परिचय-
आर्यपुत्र आर्यन जी महाराज
भागवत कथा प्रवक्ता व लेखक
पता - के के पुरम विकाश कुन्ज दिबियापुर औरैया उo प्रo
फोन - 9720299285
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