लघुकथा
आज नवरात्रा महोत्सव का शेष दिन है सभी अपनी शक्ति अनुसार उपवास रखकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
माता को जय मातादी
सुमन बहुत उदास थी, उसके पास पैसे नहीं थे की माता प्रसाद खरीद सके वह इसी उधेड़बुन में थी की पैसे कहाँ (?) से आयें क्यों की उसे माता को भोग लगाना है।
यहीं सब सोच रही थी और मन-ही-मन में माँ से अरदास कर रही थी।
'कहीं कुछ पैसे माँ भेज देती', वह यही सोचते सोचते उसकी कब आँख लग गई।
उसे पता ही नहीं चला शोर सुनकर आँख खुली, सुमन की वह इधर उधर देखने लगी। देखा सुमन के पास में एक बैग पड़ी था वह सोचने लगी अरे यह क्या है? खोल कर बैग देखा उसमें बहुत से रूपये है। कुछ देर पहले तो सुमन पैसे माँग रही थी। और देखो माता ने उसकी माँग कैसे पुरी करदी सच्चे मन से पुकारा गया तो सुमन की पुकार माँ के कानों तक पहुंच गई। माता सबकी सुन लेती है। जिसने पुकारा माता करती पुरा वायदा यही है। सभी को नवरात्रा विजया नवमी की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं।
पुष्पा निर्मल
14/10/21
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