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दशहरा या विजयादशमी के दिन भगवान राम हर रावन के वध करे रहिस तेखर ले ए दिन रावन के पुतरा ल जलाय जाथे

दसरहा के दिन हर अब्बड़ पबरित माने जाथे

"दसरहा"
दसरहा के दिन हर अब्बड़ पबरित माने जाथे। ए दिन भगवान राम हर रावन के वध करे रहिस तेखर ले ए दिन रावन के पुतरा ल जलाय जाथे। ए परब ल बड़ धूमधाम ले मनाय जाथे। दसरहा मैदान म रामलीला, गम्मत, नाचा, गीत-संगीत के कारयकरम घलो करथें। दसरहा मैदान म मेला घलो लगथे। जेमा किसिम-किसिम के जिनिस देखे बर मिलथे। लइका-सियान जम्मो झन ए दिन अड़बड़ खुश रथें। सबो अपन-अपन मनपसंद के खेलउना, खई-खजाना बिसाथें।
लोगन मन दसरहा मैदान के बीच म ठाढ़े रावन के बड़का पुतरा के गोड़ तरी ले‌ बुलक के परिकरमा घलो करथें अऊ रावन ल परनाम करथें, काबर के रावन हर बड़ गियानी, महापरतापी, बलसाली, शास्त्र के गियाता अऊ बिदवान रहिस।
दसरहा के दिन नीलकंठ के दरसन हर शुभ माने‌ जाथे, तेखर ले ए दिन नीलकंठ के दरसन करके ओखर पूजा करें जाथे अऊ जम्मो अपन मनौती मांगथें। माने जाते के नीलकंठ हर भगवान शंकर के रूप आय।
दसरहा के दिन जम्मो लइका-सियान मन खुश रथें। ए दिन सोनपान के घलो महत्व हावे घर के सियान हर सोनपान लेके आथे। ए सोनपान समी रूख के पान आय, जेखर पूजा करे जाथे अऊ दसरहा के दिन सोनपान ल बड़े-बुजुर्ग ल धराय जाथे अऊ आसीरबाद लिए जाथे। फेर परवार के जम्मो झन जुरमिल के दसरहा देखे जाथें।
दसरहा म रावन के पुतरा ल जरोय बर गांव के जनमानस राम लक्षमन के रूप म सज संवर के, करमा नाचा के संग म गांव के फेरा लगात आथे अऊ बजरंगबली हर जय सिरी राम के जयकारा लगात रथे अऊ गांव के मनखे मन ओखर संग म जयकारा लगाथें। दसरहा के रतिहा म राम के हाथ ले रावन के पुतरा ल बान मार के जरोथे अऊ‌ रावन के पुतरा हर जरे लागथे। ए दिन हर बुरई म अच्छई के जीत के परब माने जाथे।
Dussehra image
दसरहा म रावन के पुतरा ल तो बने‌ धूमधाम ले जरोथन लेकिन अपन मन‌ के‌ रावन ल तो जरोवन नहीं त दसरहा मनाय के का अरथ हे। सिरिफ मनोरंजन भर होथे। जरोना हे त‌ अपन मन‌ के‌ रावन ल जरोवा अऊ जम्मो बुरई ल जरोके अच्छा इंसान बना तभे सबके भलई हे अऊ दसरहा के सारथकता हे।
-द्रौपदी साहू
छुरी कला, कोरबा, छत्तीसगढ़

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