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सांसों के सुरभित स्वर जी लें– अपने जन्मदिन पर कविता डॉ शारदाचरण

सांसों के सुरभित स्वर जी लें– अपने जन्मदिन पर कविता डॉ शारदाचरण

Kavita Dr Shardacharan On His Birthday
सांसों के सुरभित स्वर जी लें।
(अपने जन्मदिन पर)
डॉ.शारदाचरण
-डॉ शारदाचरण
सबको मेरा नेह नमन है,
सबका अभिनन्दन, वंदन है।
प्रेमिल,सुखद, सुवासित अवसर,
सांसों में सुरभित स्वर जी लें।
आओ सब हिलमिल कर जी लें।
चंदनवन में कमल-सरोवर,
मधु सुगंध जी भर कर पीलें।
मलय - गंध के हिंडोले पर-
प्राणों में परिमल भर जी लें।
कल की जाने कौन, कहां, क्या,
किस दरवाजे काल खड़ा है?
मीत!प्रिति के गीत-गगन में-
गुनगुन-गुनगुन गा कर जी लें।
आओ सब हिलमिल कर जी लें।
बरस-बरस फिर दिन आएंगे,
गा कर गीत सुना जाएंगे।
सुधियों के सौगात सहेजे,
कथा-व्यथा कुछ कह जाएंगे।
सागर-तट पर खड़ी हवा को
लहरों का आलिंगन घेरे।
जीवन का संगीत सुहाना,
मधुर-मधुर स्वर गा कर जी लें।
आओ सब हिलमिल कर जी लें।
----शारदाचरण
सबको सादर नमन,
नेह आशीष सभी को।
21--08--2021
डॉक्टर शारदा चरण जी को उनके जन्मदिन पर हिंदी उर्दू साहित्य संसार की ओर से ढेरों शुभकामनाएं! ईश्वर इन्हें सदा स्वस्थ और प्रसन्न रखें!

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