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ज़िन्दगी शायरी - Zindagi Shayari In Hindi - Shayari On Life

जिंदगी शायरी दो लाइन - जिंदगी का फलसफा शायरी - जिंदगी के तजुर्बे शायरी

ज़िंदगी तुम्हारी सदाकत के किस्से,
अदल - गाहों में कुबूल हो रहे हैं।

ज़िंदगी तुम्हारे सहारे सुबह शाम,
होठों पे सदा ज़मज़में जी रहे हैं।

ज़िंदगी तुम्हारे रग रग में मचलता लहू,
नस नस में उम्मीद का सूरज जी रहे हैं।

ज़िंदगी तुम्हारे शाद नाशाद सलीके,
बस यूंही हम अज़ाब को पी रहे हैं।

जिंदगी तुम्हारे से जाना सूफी संकेत,
हां हम तेरे ही तो सुरूर से जी रहे हैं।

ज़िंदगी तुम्हारे वस्ल का है जो रूप,
सिर पे फक्र का ताज लेके जी रहे हैं।

जिंदगी तुम्हारी हक़ीक़त का है इल्म,
तुमसे वाबस्ता हम बे पर्दा जी रहे हैं।

ज़िंदगी तुम्हारे फ़लक से तुर्जुबानी की,
रूह की कशिश और एहसास जी रहे हैं।

बिजल जगड
मुंबई घाटकोपर
कठिन शब्दों के अर्थ - Meanings Of Difficult Words
अज़ाब - Agony
सराब - Mirage, Illusion
शाद नाशाद - Happy Unhappy
वस्ल -Union
तुर्जुमान - Interpretor

ज़िंदगी का फलसफा शायरी - ज़िंदगी का सच शायरी - ज़िंदगी की सच्चाई शायरी

जिंदगी
जीने की चाह रही थी
जाने क्यों जीना पड़ता है।
कुछ खोने की उम्मीद नहीं थी
जाने क्यों सब खोना पड़ता है।
ज़िंदगी शायरी
सोची थी मिलेगी मंजिल
राहों मैं तो शोले मिलें।
गम की थी परछाई इतनी
दुखों का सागर भी था।
सुख नाम की चीज नहीं थी
फिर भी क्यों जीना पड़ता है।

राहों में शोले मिले
और मिले पत्थर भी खूब।
फिर भी आशा की एक दीप जलाई
ना जाने कब बुझ गई।

सोची थी मिलेगी मंजिल
खाई ही खाई मिली।
अपना छुटा जग भी रुठा
फिर भी क्यों जीना पड़ता है। जीने की चाह नहीं थी
जाने क्यों जीना पड़ता है।
दिनांक :१७/६/२०२१
कलमकार : वीणा देवी नाथनगर भागलपुर बिहार

जिंदगी की यादें शायरी - Zindagi Ki Yaadein Shayari

क्या कहुं ऐ जिन्दगी तुझे?
( मुक्तछंद काव्य रचना )
कुछ यादें मीठी सी है,
कुछ यादें बड़ी दुखभरी है।
पल में बदलता है सबकुछ यहां,
जिंदगी की कहानी बड़ी निराली है।

जब भी मिलती है सुखों की छांव,
जख्म धीरे-धीरे सब भर जाते हैं।
जब भी होता है दुखों का प्रहार,
तब ये जिंदगी भी बिखर जाती है।

क्या कहुं ऐ जिन्दगी तुझे?
कैसे पहचान सकूं नये नये रंग तेरे।
हर पल तेरा है मुश्किलों भरा,
सवालों के घेरे में सफर हम कैसे करें।

हल ढूंढते ढूंढते उसी सवालों का,
साहस भी पुरी तरह टुट जाता है।
किसी को मिलती है खुशियां ढेर सारी,
किसी की तकदीर ही अश्कों से भरी होती है।

निगाहों में भरके वो कल के ख्वाब,
तू सबको यहां जीना सिखाती है।
ऐ, जिन्दगी कैसी है ये तेरी लीला न्यारी,
हारे मनकों भी तू ख्वाब नये कल का दिखाती है।

कितनी अजीब सी थी वो अपनी मुलाकात,
मानों तनहा ज़िंदगी में हुई जैसे बरसात।
उठी मन में तभी जीने की नई उमंग,
और बदल गये मेरे कल के वो सब हालात।

दर्दों में तड़पती हुई इस ज़िंदगी को,
हुआ किसी अपनेपन का वो अहसास।
चेहरे पर छाई थी एक विरान सी,
उसी विरान सी जिंदगी को मिली नई सांस।

उजड़े हुए इस ज़िंदगी के गुलशन में,
फिर से आ गई जैसे सुखों की बहार।
अंधेरे में तड़पती रही ये ज़िंदगी कबसे,
उसी ज़िंदगी को मिला जैसे रोशनी का उपहार।

अब युंही महका दो इस ज़िंदगी को,
देकर अपनी प्यार भरी निगाहों की सौगात।
मुकर न जाना कभी इस ज़िंदगी से,
अब सही न जायेगी तुम्हारी वो रूखसत।

कुछ ही लम्हें बाकी है,अब इस ज़िंदगी के,
दर्द मैंने झेले है इस जिंदगी में बेहिसाब।
इतनी खुशियां भर दो मेरे जीवन में,
फिर ना आये कभी ज़िंदगी में गमों की बरसात।

साया बनकर चलना तुम संग संग मेरे,
ये सांसें भी अब धड़कती है तुम्हारे लिए।
कभी न आये अब दुरियां इस रिश्ते में,
इतनी सी आरज़ू मेरी,अब कभी न ख्वाब बन जाएं।
प्रा.गायकवाड विलास
मिलिंद क.महा.लातूर
8605026835
महाराष्ट्र

वक्त का खेल ज़िंदगी और वक़्त शायरी - Zindagi Aur Waqt Shayari

वक्त का खेल
(मुक्तछंद काव्य रचना)
किसी के नशीब में क्या लिखा है,
यह कौन यहां जान सका है।
पल में बदल जाता है ये वक्त,
वक्त का खेल यहां कौन पहचान सका है।

गुरूर मत कर कभी इस जिंदगी में,
इस जिंदगी का खेल ही बड़ा निराला है।
कोई कुबेर हो या हो कोई रंक,
ये वक्त ही उसे बदलने वाला है।

कठपुतली की तरह है ये जिंदगी सबकी,
तू कहां उस डोर का मालिक है।
कटी पतंग जैसी है ये जिंदगी तेरी,
ना जाने कब वो खेल खत्म होनेवाला है।

कुछ तो कर कर्म अच्छे जिंदगी में,
उसी का फल तुझे यहां मिलने वाला है।
ये जिंदगी भी है पानी के बुलबुले जैसी,
कौन जाने कब वो फूटने वाला है?

क्या है तेरा इस चलती जिंदगी में,
सिर्फ कर्म ही तेरा यहां पीछे रहनेवाला है।
कफ़न ही तेरा होगा शमशान तक,
आखिर वो भी तेरे साथ ही जलनेवाला है।

उधार की जिंदगी लेकर आया था तू यहां,
वही जिंदगी तुझे उपहार में मिली थी।
वक्त ही है यहां सबसे बड़ा सिकंदर,
उसी वक्त के आगे तू भी एक मिट्टी का खिलौना है।
प्रा.गायकवाड विलास
मिलिंद क.महा.लातूर
8605026835
महाराष्ट्र


ज़िन्दगी शायरी हिंदी में Shayari On Life In Hindi

चढ़ान ही नहीं फकत उतार भी है ज़िंदगी
साया-ए-दीवार भी है, दार भी है ज़िंदगी

मुतमईन भी हूँ, चाहतें भी ज़िंदा हैं कई
करार भी है, थोड़ी बेकरार भी है ज़िंदगी

छोड़ कर अधूरी मुलाकात चल दिए थे जो
उनके लौटने का इंतज़ार भी है ज़िंदगी

ज़रूरतों और ख्वाहिशों के दरमियान डोलती
कभी है प्यार तो कभी व्यापार भी है ज़िंदगी

मुश्किलें बहुत हैं मैं भी मानता हूँ ये मगर
मुस्कुराओगे तो खुशगवार भी है ज़िंदगी
भरत मल्होत्रा

Zindagi Shayari Photo - Zindagi Shayari Image

Zindagi Shayari Photo - Zindagi Shayari Image

मेरी जिंदगी शायरी - जी लो जिंदगी शायरी

खुशी की दवा
ग़ज़ल
जिंदगी में नही फासला चाहिए,
आपका बस हमें आसरा चाहिए।

लो जमीं, लो धरा, आसमां जान लो,
सांस लेने को खुली बस हवा चाहिए।

बद दुआ यूं कभी ना हमें साधना,
यार हमको जहां में दुआ चाहिए।

बांटते हम रहे ईश को हर जगह,
एक जैसा हमे सम खुदा चाहिए।

सीख लो तुम यहाँ प्यार कैसे करें,
फूल सी ये महकती फिजा चाहिए।

गीत गाता रहे साज पर बागवां,
लाभदायक खुशी की दवा चाहिए।

बंधुता - धीर सीरत कमी ही नहीं,
वक्त पर ही सखा का पता चाहिए।
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

पानी का बुलबुला है ज़िंदगी: ज़िंदगी शायरी - Zindagi Shayari Hindi

पानी का बुलबुला है, ज़िन्दगी की रवानी।
समझो तो हक़ीक़त, वरना झूठी कहानी।

पानी से बने, फिर पानी में ही दफ़न हो,
आसां नहीं साहेब, ये अपनी ज़िंदगानी।

क़ुर्बानी देना फिर अलग पहचान बनाना,
बनते बनते ख़त्म हो जाती है जवानी।

टूटना, डूबना, संभलना फिर उभरना,
मुश्किलें हैं बहुत, पर न सीखी बेईमानी।

एक फूँक में उड़ जाती है ज़िन्दगी की पतंग,
लाख करते रहें ऐ ज़िन्दगी तेरी निगेहबानी।

रह न जाए फिर कहीं दास्ताँ दफ़न होकर,
यही बात थी जो थी तुम्हें आज सुनानी।
पानी का बुलबुला है, ज़िन्दगी की रवानी।
Nilofar Farooqui Tauseef
Fb, IG writernilofar

ज़िंदगी की कहानी शायरी | जिंदगी का फलसफा शायरी Zindagi Shayari

ग़ज़ल

कहानी ज़िंदगी की लिख रहा हूँ।
दिलों की महफ़िलों में टिक रहा हूँ।।

खुशी ग़म के हरिक अंदाज देखे।
मैं जैसा हूँ मैं वैसा दिख रहा हूँ।।

तू मेरा दाम चाहे जो लगा ले।
कभी मत सोचना, मैं बिक रहा हूँ।।

वो जिसके सामने ठहरा न कोई।
उसी के रू ब रू मैं टिक रहा हूँ।।

अजी सच बोलने का दंड है ये।
इबारत मौत की खुद लिख रहा हूँ।।

धरम ईमान का सच हूँ 'तपन' मैं।
हक़ीक़त के तवे पर सिंक रहा हूँ।।

दिनेश 'तपन' भागलपुर(बिहार)
मोबाइल नं० 9431090390

जिंदगी ये जिंदगी हमारी जिंदगी शायरी — हिंदी उर्दू साहित्य संसार

जिंदगी ये जिंदगी हमारी जिंदगी
सबसे से प्यारी हमारी जिंदगी


जिंदगी ये जिंदगी वतन की जिंदगी
हर पल कुर्बान वतनहै पे जिंदगी
माँ बाप की अमानत हमारी जिंदगी
हर क्षण उनपर न्यौछावर जिंदगी

कभी खुशी कभी गम यही हें जिंदगी
कभी हँसाती कभी रुलाती जिंदगी
भेद भाव ना हो वही हें जिंदगी
सद भाव समता से भरी हो जिंदगी

भावना का आचरण में ढलना हें जिंदगी
मन के विकारों का पीघलना हें जिंदगी
चंद सांसों का चलना ही काफी नहीं
सही दिशा सन्मार्ग पर चलना हें जिंदगी


कहता " निर्दोष लक्ष्य " बहुत प्यारी है जिंदगी
प्यार मोहब्बत से गूजारो तुम्हारी है जिंदगी
सत्य अहिंसा की राह दिखलाती जिंदगी
अनेकता में एकता दर्शाती जिंदगी

वाह वाह रे जिंदगी कमाल जिंदगी
हर पल देश पर .लूटाओ जिंदगी
जिंदगी ये ये जिंदगी हमारी जिंदगी
हमारी जिंदगी तुम्हारी जिंदगी

निर्दोष लक्ष्य जैन धनबाद
6201698096

जिंदगी बड़ी कमाल बा— ज़िंदगी शायरी

जिंदगी बड़ी कमाल बा।
सबके हाथ में रुमाल बा।।
कहिया उ गोरकी प्यार करी।
यही दिलवा में सबके ख्याल बा।।
विशाल कुमार अ छुआ
लोको पायलट, रायगढ़ छत्तीसगढ़

बहुत कुछ सीखा जाती है ज़िंदगी– ज़िंदगी शायरी Zindagi Shayari 4 Line

बहुत कुछ सीखा जाती है ज़िंदगी,
हंसा के रुला जाती है ज़िंदगी..
जी सको जितना उतना जी लो दोस्तों,
क्यूकी बहुत कुछ बाकी रहता है,
और ख़तम हो जाती है ज़िंदगी

मुक्तक - तुम मेरी जिंदगी

पूछा किसी ने मेरी जिंदगी का नाम मैंने नाम तेरा बता दिया।
पता पूछा किसी ने मेरी जिंदगी का मैंने पता तेरा बता दिया।
मेरी जान जिंदगी बंदगी बन गए हो तुम सब तेरा मेरा कुछ नहीं।
बनाकर मन मंदिर की देवी दिल में मैंने तुझको बसा लिया।
श्याम कुंवर भारती

Zindagi Shayari In Hindi | Zindagi Sad Shayari 2 Line

गीतिका जिन्दगी
 डॉ० विमलेश अवस्थी
1
बेरहम है बहुत है कड़ी जिन्दगी।
रास्ता रोक करके खड़ी
जिन्दगी।
जिन्दगी में मिलीहै सजाएं
बहुत
प्रश्न पर प्रश्न की है लड़ी
जिन्दगी।
2
कोई जीने का कारण,
 रहा ही नही,
बेवजह हमको जीनी पड़ी
ज़िन्दगी।
3
नीर बन पीर मन की उछलती रही,
लगती छोटी बहुत है
बड़ी जिन्दगी।
4
मेरा सूरज कभीभी उगा ही नहीं,
अंध बरसात की है झड़ी
जिन्दगी।
5
साथ देती नही,दूर होती नही,
कील जैसी जिगर में गड़ी
जिन्दगी।
6
नागिनी बन के डसती रही
रात दिन,
कितने जन्मों से पीछे पड़ी ज़िन्दगी।
डॉ० विमलेश अवस्थी

ज़िंदगी शायरी Zindagi Shayari

काफ़ी ख़ूबसूरत है ज़िंदगी
हर पल में छिपी ख़ूबसूरती
हर क्षण को ख़ुश हो कर
मस्ती मे अपनी जिए।
अपने पास जो है 
वो भरपूर है 
दिखता अल्प भले
किसी का वैसा ज़िंदगी
पाना एक ख़्वाब है।
क्या खोया क्या पाया
क्या ज़िक्र करना
कितने हुए हम किसीके
नफ़रतों को नष्ट करदे।
खिलते चेहरे पर ही
सभी विश्वास करते।
हर तरह से बेमिसाल है ज़िंदगी
बस ख़्वाहिशो का ज़रा
बोझ कम कर दे।
सुनीता अग्रवाल
राँची
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