फिर गुलजार होगा, ड्राइंग रूम मेरा! आशाओं और उम्मीद भरी शायरी
फिर गुलजार होगा
ड्राइंग रूम मेरा
गवाह बनेंगे यह
सोफे ये टेबल
मेरे अपनों की
हंसी ठहाका का
राह ताक रहे है
यह सभी भी
मेरी ही तरह।
वक्त कठिन है थोड़ा
पर यह कठिन
वक्त भी गुजर जायेगा
ड्राइंग रूम मेरा
गवाह बनेंगे यह
सोफे ये टेबल
मेरे अपनों की
हंसी ठहाका का
राह ताक रहे है
यह सभी भी
मेरी ही तरह।
वक्त कठिन है थोड़ा
पर यह कठिन
वक्त भी गुजर जायेगा
अचछे दिन का इंतज़ार शायरी | वक़्त शायरी
फिर होंगी टेबल पर
होममेड चाट गोलगप्पे
के भगोने,वह खुशबू आती
वह टिक्की वह चटनी की
प्लेटें चम्मचों की
खनखनाती आवाजें
कानो में खोलेंगे
मिश्री सी हंसी वो
फिर रोज होंगे
लॉकडाउन का मेनू डिसाइड
कुछ सीखेंगे सिखाएंगे
बच्चों से हम
वक्त कठिन है
पर गुजर जाएगा
यह भी एक दिन
हम इस वक्त से भी
लड़ेंगे हार न मानेंगे
जीतेंगे हम 1 दिन
इस वक्त से भी
खुशियां होंगी
चारों तरफ हमारे
फिर गुलजार होगा
यह ड्राइंग रूम मेरा।
इंतजार में हूं पलकें बिछाए
खुश हूं ठीकहै दोनों
फिर लौटेंगे खुशियां हमारी।
धन्यवाद
अंशु तिवारी पटना
होममेड चाट गोलगप्पे
के भगोने,वह खुशबू आती
वह टिक्की वह चटनी की
प्लेटें चम्मचों की
खनखनाती आवाजें
कानो में खोलेंगे
मिश्री सी हंसी वो
फिर रोज होंगे
लॉकडाउन का मेनू डिसाइड
कुछ सीखेंगे सिखाएंगे
बच्चों से हम
वक्त कठिन है
पर गुजर जाएगा
यह भी एक दिन
हम इस वक्त से भी
लड़ेंगे हार न मानेंगे
जीतेंगे हम 1 दिन
इस वक्त से भी
खुशियां होंगी
चारों तरफ हमारे
फिर गुलजार होगा
यह ड्राइंग रूम मेरा।
इंतजार में हूं पलकें बिछाए
खुश हूं ठीकहै दोनों
फिर लौटेंगे खुशियां हमारी।
धन्यवाद
अंशु तिवारी पटना
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