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प्रेरणादायक सुविचार हिंदी | Motivational Suvichar in Hindi

प्रेरणादायक सुविचार Motivational Quotes In Hindi

प्रेरणादायक सुविचार : पापी वह नहीं जो अंजाने में पाप करता है

समस्त साहित्य प्रेमी माताओं, बहनों और बंधुओं को हृदयतल से नमन।
पापी वह नहीं जो अंजाने में पाप करता है,पापी वह है जो जानबूझकर पाप करता है।
अंजाने में भी किया गया वह कार्य महापाप है, जो अतिकष्टदायी हो।
हम यदि सोच रहे हैं कि मैं जो कर रहा हूँ, वह दुनिया नहीं जानती है या नहीं देख रही है, यह सोच हमारी भूल है, क्योंकि दुनिया वह जानती है या देख रही है, जो शायद मैं नहीं जान पा रहा हूँ या नहीं देख पा रहा हूँ।
हरि ऊँ
अरुण दिव्यांश 9504503560


प्रेरणादायक स्टेटस इन हिंदी : सत्य परेशान हो सकता है, परास्त नहीं

समस्त साहित्य प्रेमी माताओं बहनों और बंधुओं को हृदयतल से सादर नमन तथा बजरंग बली की कृपा सदैव हम और आप सपरिवार सब पर बरसती रहे।
सुख की प्राप्ति धन से नहीं हो सकती है। सुख एक ऐसा दैविक साधन है, जिसे सिर्फ और सिर्फ मन को शांत और पवित्र रखकर ही प्राप्त किया जा सकता है।
सब पर दया करो, तुम्हें दया और दुआ स्वतः मिलेगा।
सत्य परेशान हो सकता है, परास्त नहीं।
अरुण दिव्यांश 9504503560


दैनिक सुविचार इन हिंदी : देवियों की पूजा तभी सार्थक होती है, जब...

समस्त साहित्य प्रेमी माताओं, बहनों एवं बंधुओं को हृदयतल से सादर नमन।
किसी भी देव देवियों की पूजा तभी सार्थक होती है, जब हम सदैव तन मन से पवित्र हों और अपने माता पिता, भाई बहन और सास ससुर की सेवा सादर, स्नेह और पूरी तन्मयता से करते हों।
आर्थिक तत्व से दूर हटकर आत्मिक तत्व को समझो, आध्यात्मिक तत्व की प्राप्ति होगी तथा जीवन का आनंद अत्यंत सुखद होगा।
अपने वास्तविक जीवन को बचाने हेतु फुफकार मारना भी अति आवश्यक होता है।
आप और हम सबका आज का दिन हम सबके सपरिवार सहित मंगलमय हो।
अरुण दिव्यांश 9504503560


प्रेरणादायक सुविचार हिंदी Motivational Suvichar Hindi : गरीबी में ही सच्चे सुख की अनुभूति होती है

गरीबी में ही सच्चे सुख की अनुभूति होती है, जो अमीरी आने पर अहंकार के कारण धीरे धीरे प्रायः लुप्त हो जाती है।
धन बुरा नहीं होती है अहंकार बुरा होता है, क्योंकि अहंकार एक ऐसा दुर्गुण है जिससे विकार उत्पन्न होता है। फलतः मति उल्टी हो जाती है जिससे पाप की वृद्धि तथा अन्न धन जन पद प्रतिष्ठा की क्षति होती है। विकार के अंतर्गत काम, क्रोध, लोभ, ईर्ष्या, डाह,
शोषण इत्यादि आते हैं।
विद्या प्राप्ति एक कठिन तप है, जिसे सुखपूर्वक प्राप्त नहीं किया जा सकता।
जय इंसानरूपी भगवान की।
9504503560 अरुण दिव्यांश


प्रेरणादायक सुविचार : मानवः प्रेम, श्रद्धा और आदर सम्मान

समस्त साहित्य प्रेमी माताओं, बहनों और बंधुओं को हृदयतल से नमन तथा ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएँ।

मानवः प्रेम, श्रद्धा और आदर सम्मान के साथ स्वयं संग सबको झुकने और झुकाने की प्रवृति अपनानेवाले को अर्थात मानव के मानवता रूपी मान को कायम रखनेवाले तथा सम्मान देनेवाले को मानव कहते हैं।
मनुष्यः मनु के वंशज होने के नाते मनु के समान सच्चे पथपर चलनेवाले मनुष्य कहलाते हैं।
हमारी प्राकृतिक जाति मानव और प्राकृतिक धर्म मानवता है।
अरुण दिव्यांश 9504503560


मधुर वाणी, सभ्यता, शिष्टाचार : सुविचार हिंदी में

साहित्यप्रेमी माताओं बहनों और बंधुओं को सादर नमन।
मधुर वाणी, सभ्यता, शिष्टाचार, आदर, सम्मान और यथोचित व्यवहार ही प्रेम का प्रतीक है।
सबका कल्याण करो तुम्हारा कल्याण स्वतः होगा।
परोपकार और सेवा ही सबसे बड़ा धर्म और सबसे बड़ी पूजा है।
अरुण दिव्यांश 9504503560


सच्चा भक्त वही बन सकता है : प्रेरणादायक सुविचार हिंदी में

समस्त साहित्य प्रेमी माताओं, बहनों और बंधुओं को हृदयतल से नमन एवं सादर आभार।
भगवान बनने की क्षमता वही प्राप्त कर सकता है जिसे भक्त बनने की क्षमता प्राप्त हो और सच्चा भक्त वही बन सकता है, जो सच्चा इंसान हो।
इंसानियत का मार्ग तय करने में पग पग पर काँटे होते हैं, जिनसे बचकर चलना एक कठिन किन्तु महत्वपूर्ण तप है।
साफ, सुंदर और पवित्र स्थानों पर पवित्र होना तो आम बात है, लेकिन गंदे और अपवित्र जगहों पर सुंदरता और पवित्रता धारण करते हुए उस स्थल को भी सुंदरता और पवित्रता प्रदान करके सुशोभित कर देना ही बहुत बड़ा संतत्व है।
जय श्रीराम
अरुण दिव्यांश 9504503560


इन्सान बनो, मत तुम नादान बनो

भगवान गणेश, माँ सरस्वती को हृदयतल से सादर नमन करते हुए समस्त साहित्य प्रेमी माताओं, बहनों तथा बंधुओं को भी हृदयतल से सादर नमन।
आत्मा ढूँढ़ सकता है परमात्मा को,
जब निज मन भी निर्विकार हो।
स्थिर हो जाय यह मन जिस दिन,
तींनों का ही मिलन स्वीकार हो।।
आए हो इस दुनिया में तो,
जियो आँखों का तारा बनकर।
सबके हथेली पर सदा बसोगे,
जन जन का ही प्यारा बनकर।।
बन सको तो भगवान बनो,
इतना तुम भी महान बनो।
नहीं कुछ तो इन्सान बनो,
किन्तु मत तुम नादान बनो।।
अरुण दिव्यांश 9504503560


शब्द : शब्द पर सुविचार | शब्दों पर सुविचार

शब्द
*
सोच समझकर बोलिए, शब्द के मोल न तोल।
कहीं गुड़ कहीं जहर बने, एक शब्द के बोल।।
*
कर दे कहीं लगाव तो, कर दे कहीं दुराव।
खुद ही इसे सम्भालिए, शब्द के हाथ न पाँव।।
*
शब्द से ही मिलती खुशी, शब्द से मिलते ग़म।
शब्द से मिलते घाव तो, शब्द कहीं बनते मरहम।।
*
शब्द की महिमा है बड़ी, बड़ा शब्द संसार।
सुनों बिजेन्दर जीव का, शब्दों में झलके व्यवहार।।
*
शब्द हीं ब्रह्मा, शब्द हीं विष्णु, शब्द हीं शिव का रूप है।
शब्द हीं माता और पिता का, अनूपम छवि अनूप है।।
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बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू
जारी....

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