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नफरत का बीज शायरी | Nafrat shayari | Nafrat quotes in hindi

धार्मिक नफरत शायरी |नफरत की दुनिया स्टेटस

नफरत शायरी इमेज-Nafrat shayari photo

अपनों से नफरत शायरी | बेवफा नफरत शायरी

नफरत का बीज
मजहब बड़ा और खुदा का घर छोटा हो गया।
इंसान की सोच को अब यहां क्या हो गया ।

खुदा के घर पहुंचकर इंसान पाक होता है,
आज इंसान से खुदा का घर नापाक हो गया।

पानी पीने का बहाना था और जहर था भरा,
नफरत के बीज बोया और वो दरख्त हो गया।

देश की आजादी को हजारों शीश दे दिए,
वह मुसलमान आज कैसे गद्दार हो गया।

संभल जाओ अभी भी मजहब के ठेकेदारों,
निकलेगी औलाद हाथ से देखोगे ये क्या हो गया।

Nafrat Shayari | हेट शायरी

कुछ की खुदगर्जी ने मजहब का रंग दिया,
आपके ही बच्चों पर अब निशाना हो गया।

मजहब, तमाम संस्कृति, का इक जहान था,
मेरे सतरंगी हिंदुस्तान का क्या हाल हो गया।

क्या दोगे अगली पीढ़ी को क्या ईमान दोगे,
दहशत से भरा बच्चों को क्या हिंदुस्तान दोगे।
शगुफ्ता रहमान 'सोना'

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