महान आदमी शायरी | मानवता पर शायरी | अच्छा आदमी शायरी
आदमी पर कविता | Shayari for instagram post
ग़ज़ल
आदमी आदमी की ख़ातिर है।
यह दिया रौशनी की ख़ातिर है।
क्यों न शैदा हो दिल भला इस पर।
ह़ुस्न जब आशिक़ी की ख़ातिर है।
आप आए तो मुस्कुराए लब।
यह हँसी आप ही की ख़ातिर है।
जिसने जानी न क़द्र इस दिल की।
दिल परेशाँ उसी की ख़ातिर है।
ज़िन्दगी का मिरी हर इक लम्हा।
वक़्फ़ अब शायरी की ख़ातिर है।
वो भी समझे है अब हमें पागल।
ह़ाल यह जिस परी की ख़ातिर है।
और मक़सद है क्या फ़राज़ इसका।
ज़िन्दगी बन्दगी की ख़ातिर है।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद
Pyar Kya Hai Shayari | Shayari On Dhoka
ग़ज़ल
दीवानगी में हाय ये क्या कर चुके हैं हम।
ख़ुद अपने दिल से आप दग़ा कर चुके हम।
शर्तें लगा - लगा के रक़ीबों से आप के।
करनी न थी जो, वो भी ख़ता कर चुके हैं हम।
मन्ज़िल हमें मिले न मिले ग़म नहीं मगर।
रहबर से अपनी राह जुदा कर चुके हैं हम।
इस दिल में दर्द पाल के सारे जहाँन का।
ख़ुद अपने ह़क़ में हद से बुरा कर चुके हैं हम।
मिलता नहीं सुकून किसी भी तबीब से।
दर्दे जिगर की लाख दवा कर चुके हैं हम।
गैरों के साथ मिलके दिया है जो आपने।
सौ बार ज़ख़्म वो भी हरा कर चुके हैं हम।
अब इस से बढ़ के और करें भी तो क्या करें।
करनी थी जितनी उनसे वफ़ा कर चुके हैं हम।
क़िस्मत फ़राज़ उसकी न बदले तो क्या करें।
ले - ले के नाम उस का दुआ़ कर चुके हैं हम।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद
दीवानगी में हाय ये क्या कर चुके हैं हम।
ख़ुद अपने दिल से आप दग़ा कर चुके हम।
शर्तें लगा - लगा के रक़ीबों से आप के।
करनी न थी जो, वो भी ख़ता कर चुके हैं हम।
मन्ज़िल हमें मिले न मिले ग़म नहीं मगर।
रहबर से अपनी राह जुदा कर चुके हैं हम।
इस दिल में दर्द पाल के सारे जहाँन का।
ख़ुद अपने ह़क़ में हद से बुरा कर चुके हैं हम।
मिलता नहीं सुकून किसी भी तबीब से।
दर्दे जिगर की लाख दवा कर चुके हैं हम।
गैरों के साथ मिलके दिया है जो आपने।
सौ बार ज़ख़्म वो भी हरा कर चुके हैं हम।
अब इस से बढ़ के और करें भी तो क्या करें।
करनी थी जितनी उनसे वफ़ा कर चुके हैं हम।
क़िस्मत फ़राज़ उसकी न बदले तो क्या करें।
ले - ले के नाम उस का दुआ़ कर चुके हैं हम।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद
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