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मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया शायरी | इंजीनियरिंग शायरी इन हिंदी

 डॉक्टर विश्वेश्वरय्या माहिती | इंजीनियर पर कविता

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया शायरी | इंजीनियरिंग शायरी इन हिंदी

अभियंता दिवस शायरी | इंजीनियर दिवस फोटो

मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरैया की कहानी
सदाबहार है सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की कहानी,
कभी नहीं भूल सकता इसको कोई भी हिन्दुस्तानी।
15 सितंबर1860 को, कर्नाटक के कोलार में जन्म हुआ,
पढ़ाई लिखाई में उनकी गति रही थी, शुरू से ही तूफानी।
सदाबहार है…

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की कहानी

अभियांत्रिकी के क्षेत्र में उन्होंने, एक नया कीर्तिमान रचा,
जहां कोई सोच नहीं सकता था, वहां भी पहुंचाया पानी।
उनके जन्म दिवस पर, भारत अभियंता दिवस मनाता है,
अभियंताओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई,
उनकी जिंदगानी।
सदाबहार है…
जल संरक्षण और प्रबंधन पर, उनको तो महारत हासिल था,
उनके कार्य को देखकर, अंग्रेज अधिकारियों को हुई थी हैरानी।
महाराष्ट्र, मुंबई में उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी,
थी उन पर मैसूर सरकार की, तहे दिल से पूरी मेहरबानी।
सदाबहार है…
नासिक के सहायक अभियंता के पद को सुशोभित किया,
बाद में मैसूर में चीफ इंजीनियर बने, सारी दुनिया है दीवानी।
उन्होंने कई इंजीनियरिंग और कृषि कॉलेज खुलवाए देश में,
14 अप्रैल1961 को जग छोड़ा, अमिट रहेगी उनकी निशानी।
सदाबहार है…
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार

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