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होली त्योहार पर विशेषांक | होली पर निबंध होली हास्य व्यंग्य

हिन्दू धर्म के अंतर्गत आनेवाले पाँच त्योहार कौन कौन से हैं

होली त्योहार पर विशेषांक

खूँटातोड़ की कलम से.....

हिन्दू धर्म के अंतर्गत आनेवाले कम से कम पाँच त्योहारो के नाम

हमारे देश का वह एक प्रमुख त्योहार होली जिसके बारें में तीसरी कक्षा के विद्यार्थीयों को जब हिन्दू त्योहारो का पाठ शिक्षक महोदय पढाते है तो उसमें होली त्योहार का नाम सबसे पहले होता है। या यूँ कहे कि यदि किसी विद्यार्थी से हिन्दू धर्म के अंतर्गत आनेवाले कम से कम पाँच त्योहारो के बारे में पूछा जाता है तो विद्यार्थी का पहला जबाब होली,दीपावली,गणेश चतुर्थी,रक्षाबंंधन और महाशिवरात्री का नाम पहले जुबां पर आता है। 

होली का पर्व जो प्रतीक है उमंग का

होली का पर्व जो प्रतीक है उस उमंग का,जो प्रतीक है उस हर्षोल्लास का जो प्रकृति के द्वारा दिया हुआ वह अनाज जो महीनो के परिश्रम के बाद किसी किसान के घर आंगन में आता है।

लिहाजा इस खुशी के इजहार में कृषक बंधु होली के दिन सुबह  से ही धूल कीचड़, पंक आदि से सने हुए एक दूसरे के साथ प्रेमरस घोल के रस बरसात की शुरूवात करते है जिसमें दोपहर के बाद रंग, अबीर, गुलाल आदि से सजने सजाने के बाद उस पर प्रेमरंग चढ जाता है। तत्पश्चात संध्या समय उस प्रेमरंग से सराबोर जीवात्माओं में जब गायन,वादन,सुर,ताल आदि का संचार होता है तो बरबस रोम रोम झंकृत हो उठते है जिसका अंतिम पड़ाव प्रेममिलन ही होता है। 

फागुन के महीने में जब पेड़ भी पतझड़ हो जाते है,इंसानो के अधर सूखने लगते है तब ऋतु भी करवट लेती है और शुरुवात होती है उस बसंत की जिसमें आम के पेड़ो में भी मंजर लगने लगते है, महुआ में कोंचे लगनी लगती है हर कोई प्रेमालिंगन के जब आतुर होता है तभी उसका प्रतीक बनती है यह होली। तभी उन सभी चेतन को ऊर्जान्वित बनाती है यह होली। जिसकी जरूरतें न सिर्फ किसानो को,न सिर्फ ग्रामीणों को बल्कि हरेक शहरवासियो को भी, हरेक चेतन प्राणियो को भी रहती है।

इस कारण प्रकृति प्रदत्त इस ऋतु के मान में,प्रकृति का उपहार समझकर हम सभी देशवासियो को आपसी सारे वैमनस्व भूलाकर इस त्योहार को जम कर मनाना चाहिए तथा इस पर्व का प्रतिभागी बनकर मिले हुए उमंगो से पूरे एक साल हेतु उर्जा संचित कर लेने चाहिए।

लेखक:आर बी सिंह,खूँटातोड़ पुराने कवि एवं व्यंग्यकार है परंतु गद्य लेखन का नया प्रयास कर रहे है। अतः भूल चूक आदि हेतु क्षमाप्रार्थी

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